Saturday 3 October 2015

Lake Toba And Batak People - Sumatra, Indonesia



A trip to Lake Toba in sumatra. Lake has an Island of the size of Singapore and is populated by Batak people.

तोबा झील का समोसीर द्वीप - बाईं ओर द्वीप और दाहिनी ओर मुख्य भूमि
उत्तरी सुमात्रा में ज्वालामुखी झील तोबा एक प्रमुख आकर्षण का केन्द्र है । सुमात्रा के उत्तर में मेदान हवाई अड्डे से १५० किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम । झील के बीच समोसीर द्वीप है जो आकार में सिंगापुर देश के इतना बड़ा है । इस द्वीप पर कई गेस्ट हाउस हैं जो 4-5 दिनों की छुट्टी, शांति से बिताने के लिए उपयुक्त हैं । जान लें कि झील 440 मीटर गहरी है ।

पारापत बाज़ार में पान बेचती महिला । पान का स्थानीय नाम पता नहीं कर पाया  ।
यहाँ बताक प्राग्वासियों का घर है - ये बात तो आपको इंटरनेट पर पढ़ने पर मिल जाएगी । जो बात नहीं मालूम वो ये कि यहाँ पान भी मिलता है । हाँ, पान !  लेकिन स्थानीय भाषा में क्या कहते हैं मालूम नहीं । सुमात्रा को स्थानीय भाषा में Sumatera लिखते हैं - सुमातेरा ।


जाने के लिए मेदान से ट्रेन लेकर सियांतर और फिर वहाँ से पारापत (तिग्गा राजा हार्बर) और शा के सात बजे आख़िरी नाव लेकर समोसीर द्वीप के (टुक-टुक) तक जा सकते हैं ।  दिन में एक ही ट्रेन मेदान से पारापत के निकट सियांतर को जाती है, दिन के १ बजे के आसपास । सियांतर से टैक्सी या मिनी बस में परापत आया जा सकता है । टैक्सी वाले पैसेंजर के भरने से पहले टैक्सी नहीं चलाते । आप मेदान से पारापत की सीधी बस या टैक्सी भी ले सकते हैं । इस सीधी टैक्सी का किराया, ५लाख रुपिया होगा (इंडोनेशिया की मुद्रा रुपिया, भारतीय मुद्रा में इसका मूल्य २५०० रु हुआ. सितंबर २०१५) ।


Medan Airport से झील तक आने का रास्ता । 

 यहाँ पर चर्चों की संख्या, मुझे लगता है, इंडोनेशिया के किसी और इलाकों के मुकाबले सबसे अधिक है । मुख्यतः कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट हैं । जहाँ कैथोलिक को Katolik लिखते हैं, वहीं प्रोटेस्टेंट को Protesten । इन दोनों नामाकरणों में डच प्रभाव आसानी से गोचर होता है ।
झील के समोसीर द्वीप पर बने कॉटेज । पृष्ठभूमि में द्वीप के पहाड़ ।

बतक लोग और संस्कृति


बतक यहाँ के मूल निवासी हैं जो आज से कोई २०० साल पहले तक आदमखोर हुआ करते थे; आज वे बहुत मित्रवत हैं । जो चीज बहुत भाती है वो है उनका लकड़ी पर बनाया शिल्प ।


शिल्प में मुखौटे तीखे नैन-नक़्श वाले हैं - इनकी अपनी शक्लों से अलग ।

इनकी कला में छिपकिली जैसे जीव का दर्शन कई बार होता है । जो कलाकृति बनाई जाती है, मुख्यतः महोगनी की लकड़ी पर और ऐसा लगता है कि मैने दक्षिण प्रशांत महासागर के किसी द्वीप पर भी ऐसी कृतियाँ देखी हैं, लेकिन ध्यान नहीं आ रहा कहाँ ।

बताक कलाकृतियों में राजा-रानी के प्रतिमान ।
इसके अलावे यहाँ लोग कपड़ों की बुनाई का काम भी करते हैं । पर्यटकों के हेतु बनी दुकानों में ख़ासकर दिखते हैं ।

National Geographic के शायद २००१ जून के अंक में मैने पढ़ा था कि बताक लोग एक सदी पहले तक भी नरभक्षी थे । साथ ही मार्कोपोलो ने दक्षिणी सागर में जिन जनजातियों का ज़िक्र किया था - वो शायद बताक ही थे । इनके राजकाज संबंधी  बैठक का स्थान अब तक द्वीप पर देखा जा सकता है ।
बताक राजा का सभास्थल

पारापत बाज़ार


पापापत बाज़ार - किसी अत्यंत छोटे भारतीय शहर के हाट की तरह है ।
पारापत इलाका तो छोटा है लेकिन जनसंख्या ख़ासी दिखती है । भाषा न बोल पाने के कारण कुछ बात नहीं कर सकता । सूखी मछलियाँ, थोड़े फल, सब्ज़ियाँ और घरेलू सामान बहुत मिलते हैं यहाँ ।
पारापत बाज़ार में सूखी मछलियों की दुकान


इंडोनेशिया विकसित नहीं है, लेकिन देखने लायक, शांत लोगों से भरे द्वीपों का देश है । छुट्टियों के ८-१० दिन गुज़ारने के लिए बहुत उपयुक्त - परिवार के साथ । और विवरण फिर कभी, विदा !

अधिक तस्वीरों के लिए यहाँ जाएं - इनमें झील, गलियों और बोट पर  bikes के साथ मछलियों के transport की झलक मिलेगी । अगर पसंद आए तो comment करना मत भूलियेगा ।