Sunday 3 December 2017

Tanzania - As it felt


Hello Everyone!


I am about to end my 2 weeks trip to Tanzania. Here is what I felt and saw.

ज़ांज़ीबार द्वीप के Stone Town की एक सुबह ।

अध्यक्ष


अफ़्रीका के पूर्वी तट पर बसे इस देश में कई पर्यटक आते हैं । मुख्यतः ज़ंज़ीबार (स्टोन टाउन, नुंग्वी और पाजे बीच) अरुषा में किलिमंजारो पर्वत और कई सफ़ारी (सीरंगेटी, मनयारा, ङगोरोङ्गोरो, तरंगीरे) करने के लिए । ये सभी सफ़ारी और देश का सबसे बड़ा शहर दार-अस-सलाम देश के उत्तर में हैं । दक्षिण में सबसे बड़ा नेशनल पार्क Ruaha, और दो बड़ी झीलें Malavi और Tangenika हैं - इन दक्षिणी स्थलों के लिए म्बेया शहर जाना काफ़ी उपयुक्त है । विक्टोरिया झील के पास जाने के लिए म्वांज़ा शहर जाएँ ।

सावधानी


यहाँ लोग छीना-झपटी, मारा-पीटी नहीं करते लेकिन पैसे मांगते या ठगते रहते हैं । गहने या महंगे सामान को ना दिखाएं तो ही बेहतर है । लेकिन बिना चाहे हुए ही, आपको विदेशी देखकर, लोग 'help' करने आ जाएंगे । इसके बाद (मदद करने या कुछ बताने के बाद ) वो आपसे 'Tip' मांगते हैं और उम्मीद रखते हैं । मदद लेने के बाद आप ना कहने की स्थिति में नहीं रहते हैं । इसलिए अगर आपको उनकी Help ग़ैर-ज़रूरी लगे तो पहले ही 'No, thanks' बोल दें । साफ़-साफ़ बोल दें, लेकिन तिरस्कृत न करें ।

यहाँ चीज़ों पर MRP नहीं लिखा रहता । हर चीज तो भारतीय दामों के अनुसार नहीं रहती, लेकिन फिर भी आपको ३५ से भाग देकर रूपयों में उसके मूल्य का आकलन कर लेना चाहिए । क्योंकि लोग विदेशी देखकर काफ़ी अधिक दाम बता देते हैं - ठगाने के chances बने रहते हैं । लेकिन ऐसे लोगों को भी ingnorant या 'भाग यहाँ से' नज़र से ना देखें, प्रेम से मना कर दें । लोग बेचने की कोशिश एक उम्मीद से करते हैं, लेकिन छीना-झपटी नहीं करते ।

यहाँ मलेरिया और पीलेबुख़ार की समस्या है । साधारण (सड़कछाप) रेस्टरां में ना खाएं और हमेशा मच्छरदानी लगाकर सोएं । अगर किसी होटल में मच्छरदानी ना भी हो तो मांग लें, वो दे देते हैं ।

भारत से आने के बाद

यहाँ India से आने के बाद आप data और बात करने के लिए सिम (SIM) ले लें । Tigo और Halotel के सिम के कवरेज और सर्विस अच्छे हैं - ये दोनो 'Tested OK' हैं । Airtel भी अच्छी सर्विस देता है । इसमें कोई १०००० शिलिंग खर्चने होंगे (लगभग ३०० रु) जिसमें कुछ मिनट और २ GB डेटा मिल जाएगा ।

नगद निकासी - भारत के किसी भी बड़े बैंक  में यदि आपका अकाउंट है तो उनको फोन करके अपने अंतर्राष्ट्रीय डेबिट ऑन करवा लें । यह ICICI, HDFC बैंकों में कम से कम available है । इससे आप यहाँ के एटीएम से सीधे कैश निकाल सकेंगे - स्थानीय मुद्रा में । और इनका विनियम दर भी किसी स्थानीय दुकान से बेहतर मिलेगा । लेकिन कुछ बैंक अपने ATM के सर्विस चार्ज लेतें हैं (विदेशी कार्डों से) - जो महंगा हो सकता है । तंज़निया में Stanbic Bank के चार्ज़ भारतीय कार्डों पर बहुत कम हैं । Exim bank का चार्ज ठीक-ठाक, जबकि NBC, Citibank इनके बहुत अधिक ।

बाज़ार


गाड़ी टोयोटा-सुज़ूकी की, बाइक भी टोयो कंपनी की । कुछ बजाज बॉक्सर, और कम टाटा ट्रक और कई टीवीएस किंग ऑटोरिक्शा मिले । गाड़ियों और mine drilling उपकरणों के लिए अच्छा बाज़ार है तंज़नीया ।

यहाँ लोगों से बात करने पर पता चला कि कपास की खेती तो होती है, लेकिन फिर भी देश बाहर से कपड़ों का आयात करता है । जैसे चीन, बंग्लादेश, भारत आदि देशों से ।

शीशे के सामान चीन से आते हैं, लेकिन बाज़ार में चीनी पहुँच भारत के बाज़ार जितनी ही है । सुना है कि केनया और अंगोला जैसे देशों में चीनी पहुँच बहुत है, यहाँ मध्यम स्तर की है ।

खानपान


यद्यपि यहाँ का खाना मुख्यतः मांसाहारी है लेकिन खाने में साग और राजमा की अनिवार्य उपस्थिति देखकर दंग रह गया । हर पारंपरिक व्यञ्जन में चावल के साथ ये दोनों परोसे जाते हैं ।

मछली-भात के डिश में साग और राजमा-करी की उपस्थिति ।




मांस में मुख्यतः बीफ़, मछली और चिकन बनाए जाते हैं । प्रसिद्ध शहरों में पश्चिमी खाना (सैंडविच, पित्ज़ा, बीअर) आराम से मिलता है । लगभग हर शहर में भारतीय रेस्तराँ भी हैं और शाकाहारी खाना भी मिल जाता है - लेकिन मांसाहारी खाने के जैसा सुगमता से नहीं । ज़ांज़ीबार में इमली का जूस भी काफ़ी अच्छा लगा ।




अरुषा का सब्ज़ी बाज़ार देखने के बाद मिर्च की कमी बहुत खली । खाने के रंग भारतीय खाने जैसा होने के बावजूद स्वाद में कुछ कमी सी जो लगती थी, शायद इसी कारण से ।

यहाँ के खाने में एक और चीज़ लेखनीय है - उगाली । यह इडली की तरह दीखता और बनाया जाता है, स्वाद भी लगभग वैसा ही ।

उगाली का रूप और स्वाद इडली के जैसा होता है ।



बाज़ार में समोसा और पुलाव, सम्बुसा और पिलाफ़ नाम से बिकते हैं । मध्य एशिया के ये व्यंजन भारत में आने के बाद तो रंगवार-मसालेदार हो गए, लेकिन यहाँ सिर्फ रंगत ही भारत जैसी है, मसालो की तेज़ी नहीं ।


पेड़-पौधे

तटीय इलाक़े की वनस्पति (ज़ांज़ीबार और दारेससलाम में) ।

तटीय इलाक़ों में केले, नारियल, आम, कटहल और नीम जैसे पौधे दीखते हैं । लेकिन अंदरूनी तंज़निया में ये पेड़ नहीं मिलते - या सिर्फ़ लोगों के गार्डन में मिलते हैं ।
तरंगीरे पार्क (उत्तरी, अदरुनी तंज़नीया) में वनस्पति और पथरीली मिट्टी


कुछ पते (सहूलियत के लिए)


ज़ांज़ीबार के स्टोन टाउन में - Sealand Hotel (३० USD, डबल बेड के रूम के लिए), मोल-तोल कीजिए फोन पर भी ।
नुंग्वी में कई लोकल हैं - ३५ डॉलर (मोल-तोल कीजिए और कम हो सकता है)
दार-एससलाम - कई, सिटी सेंटर के पास लीजिए ($३५ में मिल जाएगा)
अरुषा - रिच होटेल ।
मोशी - किंडोरोको (बस स्टैंड से पैदल १० मिनट, २५ डॉलर)


यहाँ पर अंदरूनी और आसपास जाने के लिए Precision Air, Fastjet की flight अच्छी है । छोटी दूरियों के लिए डीलक्स बसें ठीक हैं - बस का किराया भारत जैसा ही । ३० किलोमीटर तक की दूरी डालाडाला (मिनीबस) से की जा सकती है - इनमें अक्सर अधिक लोग ठुंसे रहते हैं । बजाजी (टेम्पो, अक्सर बजाज या टीवीएस के) से भी ये दूरियाँ तय की जा सकती हैं । चढ़ने से पहले भाड़ा पूछ लें और तय कर लें ।

लोग - जनजातियाँ


तंज़नीया में कई जनजातियाँ रहती हैं (कबीले) । इनमें सबसे प्रसिद्ध है मासाई, लेकिन चेग्गा, पारा, मेरु आदि भी मिलते हैं ।


मासाई लोग और पहनावा ।

वैसे मोशी में चेग्गा और अरुषा में मासाई लोग अधिक रहते हैं ।

भाषा

यहाँ कई स्थानीय भाषा हैं (पूर्वी अफ़्रीक़ा में ), लेकिन तांज़नीया की सरकारी भाषा है - स्वाहिली । स्थानीय व्याकरणों और अरबी भाषा के कई शब्द मिलकर बनी यह भाषा लगभग सभी बोल लेते हैं ।

कुछ काम में आने वाले वाक्य यहाँ से सीखिये -


  • स्वागत है - Karibu!
  • कैसे हैं - Mjambo?
  • अच्छा हूँ - Nzuri (अच्छा, बढ़िया) या Sijambo
  • बहुत धन्यवाद - Asante sana.
  • बहुत स्वागत - Karibu sana.
  • नहीं - Hapana.
  • हाँ - Ndiyo.


भाषा के बारे में थोड़ी गहराई से सीखना हो तो मेरा पिछला ब्लॉग देखें ।  यू ट्यूब पर इस वीडियो से बहुत मदद मिली ।


तंज़नीया का ज़िक्र किलिमंजारो चोटी की एक झलक के बिना अधूरा है। अफ्रीका की सबसे बड़ी चोटी जो बादलों की उपस्थिति में मुश्किल से दीखती  है -

कोई ५९९५ मीटर की उँचाई पर किलिमंजारो चोटी, शहर के मकानों और बादलों के उपर ।



तांज़नीया बहुत सुंदर और घूमने लायक जगह है । ग़रीब लेकिन देखने लायक, और business की opportunity भी बहुत अधिक । यहाँ घूमना उतना सस्ता भी नहीं, लेकिन अगर आप यहाँ नहीं गए तो कुछ छूट रहा है ।


अभी के लिए बस इतना ही । और जैसा कि यहाँ कहते हैं - Kwa Heri !








Monday 2 October 2017

Tanzania - Swahili language

Swahili is spoken in East Africa - Kenya, Tanzania and Mozambique - mainly in the coastal region. It is composed of local grammar and Arabic and local words. What basics do I know about this language?


तो, सबसे पहले - Karibu! (यानि स्वागत) ।
इसके जवाब में आप कह सकते हैं - Asanete Sana (असांटे साना, यानि बहुत धन्यवाद ) ।

पूर्वी अफ़्रीक़ा में कई भाषाएँ हैं, लेकिन तांज़नीया की सरकारी भाषा है - स्वाहिली । स्थानीय व्याकरणों और पूर्वी अफ्रीकी-अरबी के कई शब्दों से मिलकर बनी यह भाषा लगभग सभी बोल लेते हैं । केनया और तांज़नीया में तो लगभग सभी ।

बोलचाल में 'ट' का उच्चारण काफी ठोस होता है, जो भारतीय भाषाओं और अंग्रेज़ी को छोड़कर दुनिया में बहुत कम मिलता है । फ्रेंच, स्पेनी, इतालवी, रूसी, चीनी, अरबी, फ़ारसी आदि भाषाओं के बोलने वाले Doctor को अक्सर दॉक्तोर उचारते हैं, जहाँ 'ट' और 'ड' की कमी साफ़ झलकती है । यहाँ ऐसा नहीं है ।

भाषा की कुछ साधारण जानकारी  

सबसे पहले इन शब्दों को सीखें -

  • मैं = ni, नी ।
  • तुम = u, उ ।
  • वह = wa, वा ।

और इसके बाद कालवाची शब्दों को -

  • है (वर्तमान) = na, ना
  • था (भूत) = li, ली
  • होगा (भविष्यत्) = ta, ता

इसके बाद आप वाक्य बनाने के लिए तैयार हैं, लेकिन पहले

कुछ क्रिया

रहना = kaa
पढ़ना = soma
खाना = kula

इस भाषा में वाक्यों में संज्ञापद-कालपद-क्रियापद-अन्यपद का विन्यास रहता है । जैसे इन वाक्यों को देखें -

मैं कल पढ़ूंगा = Kesho ni ta soma
मैं कल पढ़ा था = Jana ni li soma

भूत-भविष्यत-वर्तमान बनाने के लिए क्रिया को नहीं बदलते हैं, संज्ञापद के बाद एक कालवाची पद लगा देते हैं - (na,li, ta में से एक) ।

विशेषण


कुछ शब्द (विशेषण) यहाँ से सीखिये जो मैने नुंगवी के एक गाँव में रिकार्ड किया -



इन विशेषणों के प्रयोग में ध्यान रखिये कि विशेषण, विशेष्य के बाद आता है । जैसे -

अच्छा बच्चा - Mtoto nzuri

लेकिन हिन्दी, अन्य भारतीय भाषाओं (उत्तर से दक्षिण तक) और अंग्रेज़ी में विशेषण पहले आता है, विशेष्य बाद में ।

वाक्य बनाने के लिए इससे सरल विधि शायद नहीं मिलेगी - https://www.youtube.com/watch?v=KSusBpgwPSI






Tuesday 29 August 2017

Tanzania - Safaris of the north



Tanzania has national parks and conservation areas in south as well, but northern ones are more touristy as they are close to each other and form easy parts of the tour-packages.

जो नेशनल पार्क आसपास हैं (पश्चिम से पूरब की ओर) - सीरंगेटी, ङ्गोरोंगोरो, मनयारा, तरंगीरे और अरुषा । इसके साथ ही लगा है किलिमंजारो नेशनल पार्क , जहाँ अफ़्रीक़ा का सबसे बड़ा पर्वत है । (वैसे पर्वत नहीं कहना चाहिए क्योंकि, ऊँचाइयों के समूह जो आपस में जुड़े हों, उन्हीं को पर्वत कहते हैं - आपस में जुड़े, सन्धि हो जिनमें । गिरि कहना शायद बेहतर होगा, लेकिन कौन समझता है ये शब्द ।) इनमें सीरंगेटी सबसे पश्चिम में है, नाम का स्थानीय अर्थ है - अंतहीन मैदान ।

ज़ेब्रा इतना सुन्दर दीखने वाला जानवर है! इन parks में दर्जनों नहीं, सैकड़ों में दीखते हैं ।

इनकी छवियाँ तो आपने डिस्कवरी चैनल पर देखी ही होंगी । ङ्गोरोंगोरो क्रेटर के अन्दर के पशुओं की एक झलकछ



जनजातियाँ


जब किताबों में जनजाति या कबीले शब्द का इस्तेमाल होता था तो इसका अर्थ लगता था - असभ्य, पिछड़े लोग । लेकिन जब ये जनजातियाँ हमसे अधिक स्वस्थ्य हों, और शासित-शोषित होने के बाद भी ख़ुश हों तो समझ में नहीं आता कि पिछड़े कौन हैं ? मन और शरीर से स्वस्थ्य़ ये लोग या डाइनिंग टेबल पर खाने वाले अंग्रेज़ (और उन अंग्रेज़ों जैसे बनने की जी-तोड़ मेहनत करते हम लोग)? ख़ैर, मसाई, चेग्गा, पारा, मेरु आदि कई जाति रहती हैं । (जनजाति थोड़ा बुरा लगता है, और जाति से मतलब caste नहीं है ) इनमें से मसाई और चेग्गा लोगों से बात हुई ।


मसाई जाति का पहनावा

जहाँ मसाई स्वास्थ्य के बारे में आज भी शोध होते रहते हैं, भारत में इसके बारे में कोई जागरुकता नहीं है । ये लोग अपने पालतू पशु के दूध-मांस-खून (हाँ लहू, खून) का ही इस्तेमाल करते हैं । साथ ही कई कड़वे पेड़ों का बना सूप भी पीते हैं ।

अरुषा शहर


अरुषा, इन सारे सफ़ारियों (अर्थात् जीप-विहारों) के लिए अच्छा डेरा है । शहर की आबादी कोई १० लाख होगी, और शांत भी है । जाड़े के दिनों में तापमान २० डिग्री के आसपास ही रहता है, जो देश के अन्य भागों की चुलना में ठंडा है ।

शहर के बस-स्टैंड के पास की एक झलक इस वीडियो में देखें -



अरुषा से किलिमंजारों कोई ६० किलोमीटर होगा, और लगभग इतना ही दूर केनया की सीमा (थोड़ी अलग दिशा में) । यहाँ से म्बेया, मोशी और दार-एस-सलाम के लिए बसें उपलब्ध हैं । शहर में कुछ भारतीय रेस्तराँ भी हैं, और पश्चिमी तथा स्थानीय खाना तो मिलता ही है ।

थोड़ी और detail कुछ ही दिनों में ।


Sunday 20 August 2017

Tanzania - Zanzibar Island

ज़ंज़ीबार - East African melting pot of cultures

कोई ८० किमी उत्तर-दक्षिण और २० किमी पूर्ब-पश्चिम की बनावट वाला, मुख्यभूमि अफ़्रीका से ३० किमी पूर्व में स्थित जंज़ीबार द्वीप ६००-७०० सालों से व्यापारिक केन्द्र रहा है । अरब-अफ़्रीकी-पुर्तगाली-भारतीय-अंग्रेज़ कई लोग यहाँ आते आए हैं ।

द्वीप की आबादी की एक झलक:






शेष तंज़निया और केन्या की तरह यहाँ दो बार सरदी-सूखे का मौसम आता है, और यही पर्यटन के हिसाब से लोकप्रिय है । दिसंबर-जनवरी और जुलाई-सितंबर तक के दो भाग । सड़के शांत लेकिन ड्रग की समस्या से परेशान (बंदूक की समस्या से नहीं) । मतलब - या तो झुंड में चलें या अगर अकेले हों तो किसी से कोई बहस-वार्ता न करें ।  मुख्यतः मुस्लिम आबादी और संस्कार-प्रभाव । मलेरिया, कोलेरा और पीला बुख़ार जैसे रोगों के ख़तरे के कारण गलियों और साधारण स्थानों के खाने से बचने की कोशिश करनी चाहिए ।


देखने लायक जगह -
  • स्टोन टाउन - पश्चिमी तट पर बना संकरी गलियों वाला मुहल्ला । यहाँ गलियाँ कंक्रीट की बनी हैं, थोड़े पुराने घर हैं । इन संकरी गलियों में मोटरसाइकिल या स्कूटर मात्र ही चलते हैं, कार नहीं । पश्चिमी तट पर फ़ुरोदीनी पार्क है जहाँ शाम के समय कई बेक-बार्बीक्यू-तंदूरी खान-पान का इंतज़ाम रहता है । लुकमान होटल में भी खाना भरोसेमंद है । यहाँ पर उन्नीसवीं सदी के कुख्यात दास-व्यापार की झलकियाँ भी मौजूद हैं । 
  • नुंग्वी बीच (दीघा) - यह एकदम उत्तर में एक गाँव है, जहाँ छोटे-छोटे कई बीच हैं । साथ ही कई गेस्ट-हाउस और होटेल भी । दो तरफ़ समुद्र से घिरा होने और पानी के साफ़ और शांत होने के कारण काफ़ी लुभावना है । गाँव में कोई एटीएम नहीं है, अतः पैसे साथ ही लेकर आवें । रेस्तराँ में काफ़ी पश्चिमी खाना मिलता है । कुछ जगहों पर पुलाव और बिरियानी भी मिलती है, लेकिन स्थानीय स्वाद है - यानि मिर्चविहीन, कम मसालों वाला स्वाद । शाकाहारी खाना खाने के लिए आप इंतजाम कर सकते हैं - मीट नहीं डालने को कहिए । यहाँ कई लोग ड्रग्स (गांजा) लेने के लिए भी इशारा-बात करते रहते हैं, चुपचाप निकल जाने में ही भलाई है ।
  • पूर्वी तट - पूर्वी तट पर पाजे और म्गांवे बीच बहुत खाली लेकिन अच्छे हैं । अगर आपको भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचना हो लेकिन प्राकृतिक सुंदरता देखनी हो तो यहाँ आएं ।

नुंग्वी में बने गेस्ट हाउस - समुद्र के ठीक किनारे
लोग ग़रीब हैं, अतः पैसों की आस में आपको तुरंत रास्ता बताने और मदद करने आ जाएंगे । अगर आपको पैसे नहीं देने हों, या कम देने हों तो "सॉरी" और "नहीं, धन्यवाद" (NO thanks) बोल कर निकल सकते हैं । ये टिप की मांग करते हैं । लेकिन चक्कर में नहीं फंसातें, बस आपसे पैसे मांगते या ठगते रहते हैं । अपनी समझ और हैसियत से पैसे दें, या समय पर मना कर दें ।

यहाँ आकर पता चला कि हकुना मटाटा का मतलब "सब ठीक, कोई दिक्कत नहीं" होता है - यह अक्सर इस्तेमाल होने वाला phrase है । इन शब्दों को भी देखिये:

  • पेसा Pesa - धन । 
  • गारी Gari - कार (गाड़ी) ।


ज़ंज़ीबार का खाना, रंगीन तो है लेकिन भारतीय मसालों की तीव्रता नहीं मिलती । लेकिन फिर भी स्वाद में अच्छे ही हैं । यहाँ पर मिलने वाला इमली का जूस चखने लायक है ।


यहाँ के पेड़े-पौधों में मध्य भारत की झलक मिलती है । आम, नारियल, केले, कटहल, नीम आदि बहुतायत मिलेंगे । और भी कई पेड़ जो ग्रामीण कर्नाटक में मिलते हैं यहाँ दीख जाएंगे । लेकिन पपीता, लीची आदि नहीं मिलते । द्वीप की मिट्टी मुख्यतः दोमट है, लेकिन कहीं-कहीं लाल भी ।

पेड़-पौधे भारत की तरह ही हैं, लेकिन मौसम के महीने भारत से उल्टा (जुलाई में ठंड) ।

यह द्वीप पिछले ३०० सालों से ओमान साम्राज्य का हिस्सा रहा है, तंज़ानिया (या तेंगेन्यीका) का नहीं , इसलिए एक स्वायत्त क्षेत्र है । यहाँ से ओमानी और अंग्रेज़ कई अफ़्रीकी दासों (ग़ुलामों) को पास के केनया, ज़ांबिया, मलावी, मोजांबिक आदि से लाते थे और बेच देते थे । ये ख़रीदे दास कैरिबियन (वेस्टइंडीज़), अमेरिका, ब्राज़ील में खेतों और घरों में दासता की ज़िंदगी बिताने के लिए भेज दिये जाते थे । इनकी दहला देने वाली निशानी आज भी मौजूद है स्टोन टाउन में । ऐसे घर (१०० वर्गफ़ीट) जिनमें ५० लोगों को भूखे कई दिनों तक रखा जाता था और जो ज़िंदा बच जाते थे, उनको मज़बूत समझा जाता था और फिर बेचा जाता था । बाक़ी या तो मर जाते थे या बीमार हो जाते थे ।

दास व्यापार की झलकियाँ


सबसे पहले ओमानी शासकों ने यहाँ अरब इलाक़े के घरेलू और सैनिक कामों में अफ़्रीक़ा के लोगों को लगाने की सोची । अरबों से अलग दीखने वाले ये लोग मुख्य धारा में बसने के लिए अनुपयुक्त समझे गए और दासों की तरह इस्तेमाल किये जाने लगे । ( इसी विचारधारा के तहत आज भी ओमान-इमारात-सउदी-क़तर-बहरीन-कुवैत आदि देशों में कई भारतीय-पाकिस्तानी-श्रीलंकन-फ़िलीपीनो नागरिक काम की तलाश में आते हैं, लेकिन मुख्य धारा में उनको कभी शामिल नहीं किया जाता । वो न ज़मीन ख़रीद सकते हैं, ना स्थानीय लोगों से शादी कर सकते हैं, ना ही अपनी सांस्कृतिक चीज़ों के लिए कोई ख़ास जगह है उनके पास । ) ख़ैर, जब ये दास (ग़ुलाम) कामगर साबित हुए तब तक पुर्तगाली लोगों ने अफ़्रीका के तटीय इलाक़ों में कई कोठियाँ बना ली । उन्होंने भी अफ़्रीकी लोगों को इस्तेमाल किया, लेकिन जल्द ही पुर्तगाल में दास-व्यापार अवैध घोषित हो गया । इसके कोई २०० सालों बाद आए अंग्रेज़ । इन दो सौ सालों में ओमानी साम्राज्य ने दासों का बहुत व्यापार किया । ज़ांज़ीबार में कई इलाकों से दासों को भेजा जाता था (अंदरूनी छोटे प्रधानों द्वारा, धन के एवज़ में) - और यहाँ से उनको अरब शेख़ ख़रीदते थे ।

ऐसी कोठरियों में ७५ लोग भरे जाते थे । रोशनी के लिए यही खिड़कियाँ और मल-मूत्र के लिए आने जाने का रास्ता ।

जब अंग्रेज़ आए तो ओमानी शासकों ने अंग्रेज़ों को बेचना शुरु किया, और अंग्रेज़ों ने इन्हें अपने काम पर कैरेबियन, अमेरिका, ब्राज़ील आदि देशों में सस्ते मज़दूरी के लिए उम्रभर की दासता करने ले गए । पहले ओमानियों से ख़रीदे, या खुद इकट्ठा किये ग़ुलाम एक अंधेरी कोठरी में ठूँस कर भरे जाते थे और कई दिनों तक छोड़ दिये जाते थे । इनका एक मास्टर हुआ करता था जो ख़ुद ग़ुलाम था, लेकिन थोड़ा सुविधायुक्त था । तीन दिनों के जो बचते थे उन्हीं को काम करने के लिए मज़बूत समझा जाता था । फिर उनको जहाज़ों के रास्ते नई दुनिया (उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका) के लिए ले जाया जाता था । इनमें से कई समुंद्री रास्तों में बीमारियों और दम घुटने से मारे गए, कईयों ने भूख-प्यास से दम तोड़ा तो कुछ जहाज़ों से छलांग लगाकर मर गए । बाद में १८७८ में एक अंग्रेज़ बिशप (चर्च के ज़िला प्रमुख ) ने इसको धार्मिक रूप से प्रतिबंधित कर दिया । हाँलांकि स्थानीय-छोटे रूप से ये फिर भी जारी रहा ।

यह Slave Trade का Museum स्टोन टाउन के कैथेड्रल में दीखता है ।

थोड़ा और

स्टोन टाउन 

पश्चिमी तट पर बना संकरी गलियों वाला मुहल्ला । यहाँ गलियाँ कंक्रीट की बनी हैं, लेकिन ऐसे ही दीखने वाले कई भारतीय छोटे शहरों की गलियों में जो दुर्गन्ध पाई जाती है, यहाँ नहीं मिलती । इन संकरी गलियों में साइकिल या स्कूटर मात्र ही चलते हैं, कार नहीं । इसलिए अगर आप कहीं से taxi/cab में आ रहे हों और आपको टाउन के बाहर ही छोड़ दे, तो घबराइयेगा नहीं । क्योंकि कार अंदर नहीं आ सकती । ज़ंज़ीबार कैफ़े हाउस में अच्छा पश्चिमी नाश्ता मिल जाता है ।  पश्चिमी तट पर फ़ुरोदीनी पार्क है जहाँ शाम के समय कई बेक-बार्बीक्यू-तंदूरी खान-पान का इंतज़ाम रहता है । लुकमान होटल में भी खाना भरोसेमंद है । यहीं पर मुख्य केथेड्रल के परिसर में उन्नीसवीं सदी के कुख्यात दास-व्यापार की झलकियाँ हैं ।

नुंग्वी बीच (दीघा) 

यह एकदम उत्तर में एक गाँव है, जहाँ छोटे-छोटे कई बीच हैं । साथ ही कई गेस्ट-हाउस और होटेल भी । यहाँ स्टोन-टाउन से ११६ नंबर की बस में सीधे आया जा सकता है । इस सफ़र में लगभग १.५ घंटे का समय लगता है । दो तरफ़ समुद्र से घिरा होने और पानी के साफ़ होने और शांत होने के कारण काफ़ी लुभावना है । गाँव में कोई एटीएम नहीं है, अतः पैसे साथ ही लेकर आवें । रेस्तराँ में काफ़ी पश्चिमी खाना मिलता है । कुछ जगहों पर पुलाव और बिरियानी भी मिलती है, लेकिन स्थानीय स्वाद है - यानि मिर्चविहीन, कम मसालों वाला स्वाद । शाकाहारी खाना खाने के लिए आप इंतजाम कर सकते हैं - मीट नहीं डालने को कहिए । यहाँ कई लोग ड्रग्स (गांजा) लेने के लिए भी इशारा-बात करते रहते हैं । चुपचाप निकल जाने में ही भलाई है । यहाँ से पास के छोटे द्वीपों के लिए ४-५ घंटों की नाव-सफ़ारी भी मिलती है जो आपको पास के एक द्वीप के क़रीब ले जाती है । वहाँ आप snorkeling कर सकते हैं और उसके बाद एक ज़ंज़ीबार द्वीप-तट पर खाना खिलाती है और फिर वापस ले आती है । पानी का रंग नीचे के पत्थरों की वजह से काफ़ी लुभावना है ।
नुंग्वी के उत्तर में नाव-विहार मे दीखने वाला समुद्र ।





Friday 18 August 2017

Tanzania - what to know and see?


तंज़निया - जाने के पहले

Few questions, before going for a trip to Tanzania.

तंजनिया के नेशनल पार्क, शहर, नदियाँ और सीमा - जंज़ीबार पूर्व की दिशा में द्वीप है ।


तंजनिया अफ्रीक़ा के पूर्वी तट पर है, कीनिया के दक्षिण में । उतना संपन्न समाज तो नहीं, लेकिन पर्यटन के लिहाज से कई लोग यहाँ आते रहे हैं । ये तो पता है कि यहाँ आने के लिए बारिश और गर्मी के मौसम से बचना चाहिए । अर्थात् दिसंबर-जनवरी या जुलाई-सितंबर में आइये । देखने के लिए यहाँ कई नेशनल पार्क हैं, जहाँ कई किलोमीटर के दायरे में जानवर स्वच्छंदता से घूमते हैं । साथ ही उत्तर में कीनिया की सीमा से लगा किलिमंजारो पहाड़ है जो अफ्रीक़ा का सबसे बड़ा पहाड़ है - ५९०० मीटर ऊँचा । इसका अलावे क्या है वहाँ ? ये सारे सवाल अभी हैं -



  1. Agriculture in Tanzania - क्या उगता है और क्या नहीं उगता ।
  2. Sisal? Look and feel. Footware. - सुना है इसका चप्पल भी बनाया जाता है । कैसा होता है इसका पेड़
  3. Indians in Tanzania?
  4. Soil - black, red. कैसी है इसकी मिट्टी ?
  5. Language - Swahili. How to speak?
  6. Meru peak - any local myths, stories etc. 
  7. Tanzanite - कैसा दीखता है और कितनी ठगी है ?
  8. Houses. Architecture. Heat shielding. गर्मी से बचने केलिए घर कैसे बनते हैं, मिट्टी से , नारियल पत्तों से या किसी और चीज़ से?
  9. Living standard. Transportation. Cashewnut - price?

जो बात अभी मालूम है, वो है कि यहाँ लोग स्वाहिली और स्थानीय भाषा बोलते हैं । उत्तर पूर्व में कई कबीले रहते हैं - मासाई, चेग्गा आदि । लोग सड़क की बाईं तरफ़ ही गाड़ी चलाते हैं (भारत, पाकिस्तान, ब्रिटेन और जापान की तरह ही) । दार-एस-सलाम बड़ा शहर है और कुछ-बहुत कम भारतीय भी रहते हैं ।

यहाँ बिजली का भारतीय (और अमरीकी) से अलग है - सिंगापुर के जैसा । मुद्रा है तंज़निया-शिलिंग जिसे लिखते हैं TZS, एक भारतीय रुपये के बदले कोई ३५ TZS मिलते हैं (अगस्त २०१७)। लेकिन ज़रूरी नहीं कि दो लीटर पानी की कामत भी यहां ७०० TZS ही हो (क्योंकि भारत में २० की मिलती है, और ३५ x २० = ७००) ।

इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में, वहाँ पहुँचने के बाद ।