This blog is for all desis willing/thinking/planning to come to Singapore. What they should expect and plan.
सिंगापुर, भारत की नज़रों में एक विकसित एशिया की झलक - पैसे, शॉपिंग, सफ़ाई, व्यवस्था । सिंगापुर एक शहर भर का देश है, 40x30 किमी के आकार का । इससे पहले कि मैं अपना मुँह और आपका दिमाग़ खोलूँ, दो ही शब्द - व्यवस्था और सतही ।
हाँ, ये बहुत व्यवस्थित है लेकिन -चीनी संस्कृति को छोड़कर बाकी सब - आदर्शों पर खड़े उतरने की नाकाम कोशिश मात्र । चाहे वो विचारों का खुलापन, खानपान की शैलियों में यथार्थ या फ़िर लोगों का व्यवहार - पश्चिम के अनुकरण की कोशिश मात्र है । दो महीने रहने पर ये बातें साफ़ होतीं हैं । ऐसा नहीं है कि यहाँ कुछ नहीं मिलता हो, लेकिन अगर आसपास का हो तो उतना अपनापन नहीं और अगर पश्चिम का तो बहुत महंगा । अगर आपको यहाँ रहने के अच्छे ख़ासे पैसे न मिल रहे हों तो कोई मतलब नहीं है यहाँ आने का । सबकुछ व्यवस्थित है, लेकिन सब कुछ सतही । इस सतह के अन्दर झाँको तो व्यवस्था झाँकने नहीं देती ।
Things that you'd love:
यहाँ आम जीवन के लिये सब कुछ मौजूद है - साफ़ सड़कें, अस्पताल, सस्ती मेट्रो और बसें, दुकानें और बचत के पैसों को भारत भेजने पर आमदनी । सुरक्षा की दृष्टि से एकदम सही जगह है । रात के ३ बजे भी आप टैक्सी में आराम से बैठ सकते हैं - अकेली लड़की भी । बसें और ट्रेन समय पर चलती है - उनकी frequency भी अच्छी हैं । भारतीयों को यहाँ दिमागी लोगों के रूप में ही देखा जाता है - जैसे अन्य पश्चिमी देशों में । लेकिन पश्चिम में भारतीयों को कंजूस या किफ़ायती भी समझा जाता है, यहाँ उतना नहीं ।
अगर आप चीनी खाने के शौकीन हैं तो यहाँ सब जगह मिलता है - सस्ते दामों में । लेकिन ये चीनी खाना भारत में मिलने वाले चायनीज़ रेस्तरॉँ के taste से कहीं बेस्वाद और नीरस होता है । इसलिए भारतीय मोमो या गोबी मंचूरियन की कल्पना मत कीजिएगा ।
Things that feel new to you:
महंगा बहुत है । ज़ाहिर है कि यहाँ बहुत कम चीजें देश के अन्दर बनती हैं - तो बाहर से मँगाने पर महंगी हो जाती हैं । शीशा, चीनी मिट्टी के बरतन, इलेक्टॉनिक्स इत्यादि सभी । भारत के मुकाबले कपड़े यहाँ डेढ़ गुणे दामों पर मिलते हैं । वैसे तो हम भारत में ही कपड़ों के बढ़ते दामों को लेकर परेशान हैं ।
सबसे अलग है यहाँ के फ़ूड कोर्ट । शुद्ध शाकाहारी खाना तो कम ही मिलता-बिकता है लेकिन अल्प मांसाहारी खाना मिल सकता है । अधिकांश लोग, अधिकांश समय बाहर खाते हैं - फूड कोर्ट में । ताजा और शाकाहारी खानों की कमी झलकती तो है लेकिन जुगाड़ हो जाता है । यहाँ की नौकरियाँ बौद्धिक और सेवा क्षेत्रों में बहुत है । इस तरह ये आपको एक बौद्धिक स्पर्धा और श्रेष्ठतम सेवा का अवसर देता है, लेकिन एक स्पर्धा का हिस्सा मात्र बनाकर छोड़ता है ।
इस पर ये बता देना ज़रूरी समझता हूँ कि ये नूडल तो हर दुकान में मिलती है और ये दुकानें हर आबादी के पास के चौराहे और मॉल में, लेकिन अगर आप ब्रेड-ऑमलेट जैसी चीज़ कहीं ढूंढने निकले तो आपको १० किलोमीटर या ५०० रूपये ख़र्च करने पड़ सकते हैं । हालांकि अगर आप ब्रेड-आधा उबला हुआ अंडा खाना चाहें तो सब जगह हाज़िर रहेगा । आधे उबले हुए अंडे, अंदर से liquid रहते हैं ।
What you should learn
अगर आप यहाँ हैं तो चीनी भाषा और मलय-चीनी संस्कृति, मार्शल आर्ट आदि की क्लासेज़ ले सकते हैं । या लोगों से इस बारे में बात कर सकते हैं ।
Do you have noodle soup? - Have!
And, do you have chicken rice? - Also have.
Do you have thai food? - No have.
सवालों के जवाब देखिये, कितने संक्षिप्त हैं - यहाँ आम लोगों से अंग्रेज़ी बोलने का यही तरीक़ा है । पूरे लम्बे वाक्य या जटिल प्रश्न पूछने का कोई फ़ायदा नहीं । अंग्रेज़ी ही सब जगह बोली जाती है, लेकिन भयानक चीनी (एशियाई) accent के साथ ।
इतिहास और भूगोल के नाम पर एकदम शून्य है; लेकिन चीनी नववर्ष (फरवरी के शुरु में) और अगस्त के भूतों के पर्व पर कुछ सांस्कृतिक अनुभव मिल जाता है । दीपावली और ईद (दोनों) के दिन छुट्टियाँ होती है इसलिए हिन्दू और मुस्लिम समुदाय अपने उत्सव मनाते हैं । इसके अलावे बुद्ध पूर्णिमा और क्रिसमस की भी छुट्टियाँ होती हैं । भूगोल के नाम पर ५० मीटर उँची सड़क को भी बुकित (यानि पहाड़ी) के नाम से बुलाया जाता है ।
कुछ भाषागत समझ
सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा अंग्रेज़ी और चीनी है । चीनी भाषा के कुछ शब्द जो मैने यहाँ सीखे -
नहीं - बेओ , हाँ - शी ।
मैं - वा, तुम - नी, वो - ता
संबंध दिखाने के लिए दॉ/तो का इस्तेमाल होता है । जैसे, मेरी पेंसिल - वा दॉ पेंसिल ।
लेकिन इसे बोलते समय accent या pitch का बहुत ध्यान रखना पड़ता है ।
वैसे आपको बता दें, यहाँ मलय भाषा भी बहुत समझी जाती है; तमिळ अपेक्षाकृत बहुत कम । निस्संदेह इस लेख मात्र से आपको पूरी जानकारी नहीं मिल सकती । लेकिन जानते रहिये, ढूंढते रहिये...
अन्त में
आने लायक जगह, रहने लायक जगह लेकिन बसने लायक नहीं । अगर कुछ देर के लिए आए हों तो खुले दिमाग़ से आइये अजनबियों से मिलिये, जानिये और सीखिये । उसके बाद .. फुर्रर्र.. । अन्त में इतना ही कहूँगा कि अगर अत्यधिक पैसे ना मिल पा रहे हों तो यहाँ रहने का ख़ास फ़ायदा नहीं ।
Singapore Harbour |
सिंगापुर, भारत की नज़रों में एक विकसित एशिया की झलक - पैसे, शॉपिंग, सफ़ाई, व्यवस्था । सिंगापुर एक शहर भर का देश है, 40x30 किमी के आकार का । इससे पहले कि मैं अपना मुँह और आपका दिमाग़ खोलूँ, दो ही शब्द - व्यवस्था और सतही ।
सिंगापुर |
हाँ, ये बहुत व्यवस्थित है लेकिन -चीनी संस्कृति को छोड़कर बाकी सब - आदर्शों पर खड़े उतरने की नाकाम कोशिश मात्र । चाहे वो विचारों का खुलापन, खानपान की शैलियों में यथार्थ या फ़िर लोगों का व्यवहार - पश्चिम के अनुकरण की कोशिश मात्र है । दो महीने रहने पर ये बातें साफ़ होतीं हैं । ऐसा नहीं है कि यहाँ कुछ नहीं मिलता हो, लेकिन अगर आसपास का हो तो उतना अपनापन नहीं और अगर पश्चिम का तो बहुत महंगा । अगर आपको यहाँ रहने के अच्छे ख़ासे पैसे न मिल रहे हों तो कोई मतलब नहीं है यहाँ आने का । सबकुछ व्यवस्थित है, लेकिन सब कुछ सतही । इस सतह के अन्दर झाँको तो व्यवस्था झाँकने नहीं देती ।
एक बस-स्टॉप का नज़ारा |
Things that you'd love:
यहाँ आम जीवन के लिये सब कुछ मौजूद है - साफ़ सड़कें, अस्पताल, सस्ती मेट्रो और बसें, दुकानें और बचत के पैसों को भारत भेजने पर आमदनी । सुरक्षा की दृष्टि से एकदम सही जगह है । रात के ३ बजे भी आप टैक्सी में आराम से बैठ सकते हैं - अकेली लड़की भी । बसें और ट्रेन समय पर चलती है - उनकी frequency भी अच्छी हैं । भारतीयों को यहाँ दिमागी लोगों के रूप में ही देखा जाता है - जैसे अन्य पश्चिमी देशों में । लेकिन पश्चिम में भारतीयों को कंजूस या किफ़ायती भी समझा जाता है, यहाँ उतना नहीं ।
सिंगापुर के फूड कोर्ट - दोपहर में सबसे खाली रहते हैं |
Things that feel new to you:
महंगा बहुत है । ज़ाहिर है कि यहाँ बहुत कम चीजें देश के अन्दर बनती हैं - तो बाहर से मँगाने पर महंगी हो जाती हैं । शीशा, चीनी मिट्टी के बरतन, इलेक्टॉनिक्स इत्यादि सभी । भारत के मुकाबले कपड़े यहाँ डेढ़ गुणे दामों पर मिलते हैं । वैसे तो हम भारत में ही कपड़ों के बढ़ते दामों को लेकर परेशान हैं ।
सबसे अलग है यहाँ के फ़ूड कोर्ट । शुद्ध शाकाहारी खाना तो कम ही मिलता-बिकता है लेकिन अल्प मांसाहारी खाना मिल सकता है । अधिकांश लोग, अधिकांश समय बाहर खाते हैं - फूड कोर्ट में । ताजा और शाकाहारी खानों की कमी झलकती तो है लेकिन जुगाड़ हो जाता है । यहाँ की नौकरियाँ बौद्धिक और सेवा क्षेत्रों में बहुत है । इस तरह ये आपको एक बौद्धिक स्पर्धा और श्रेष्ठतम सेवा का अवसर देता है, लेकिन एक स्पर्धा का हिस्सा मात्र बनाकर छोड़ता है ।
होक्कियन नूडल |
What you should learn
अगर आप यहाँ हैं तो चीनी भाषा और मलय-चीनी संस्कृति, मार्शल आर्ट आदि की क्लासेज़ ले सकते हैं । या लोगों से इस बारे में बात कर सकते हैं ।
संस्कृति
संस्कार में चीनी तत्व सबसे अधिक दिखता है - लोगों का खाना, दुकानदारों का दोनो हाथ जोड़कर पैसे वापस करना, लोगों का रात में नहाना इत्यादि इसके कुछ उदाहरण हैं । सबसे मज़ेदार है यहाँ की अंग्रेज़ी, जिसमें चीनी स्वर (accent) तो है ही, चीनी भाषा की तरह एकदम कम व्याकरण भी ! खाने के आम दुकान में चल रहे इस संवाद पर ध्यान दीजिए -Do you have noodle soup? - Have!
And, do you have chicken rice? - Also have.
Do you have thai food? - No have.
सवालों के जवाब देखिये, कितने संक्षिप्त हैं - यहाँ आम लोगों से अंग्रेज़ी बोलने का यही तरीक़ा है । पूरे लम्बे वाक्य या जटिल प्रश्न पूछने का कोई फ़ायदा नहीं । अंग्रेज़ी ही सब जगह बोली जाती है, लेकिन भयानक चीनी (एशियाई) accent के साथ ।
इतिहास और भूगोल के नाम पर एकदम शून्य है; लेकिन चीनी नववर्ष (फरवरी के शुरु में) और अगस्त के भूतों के पर्व पर कुछ सांस्कृतिक अनुभव मिल जाता है । दीपावली और ईद (दोनों) के दिन छुट्टियाँ होती है इसलिए हिन्दू और मुस्लिम समुदाय अपने उत्सव मनाते हैं । इसके अलावे बुद्ध पूर्णिमा और क्रिसमस की भी छुट्टियाँ होती हैं । भूगोल के नाम पर ५० मीटर उँची सड़क को भी बुकित (यानि पहाड़ी) के नाम से बुलाया जाता है ।
रहन-सहन और खर्च
यहाँ पर घर का किराया आपके खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा है, कुल ख़र्च के आधे या दो-तिहाई से भी अधिक । सफ़र करना, खाना (चीनी शैली) जैसी चीज़ें सस्ती है । मनोरंजन की चीजें - सिनेमा, खेलना, पार्टी-पब और घूमना ख़ासी महंगी । कपड़े और FMCG (शैम्पू, पेस्ट, डिटरजेंट) सामान थोड़े महंगे - सभी तुलना भारत के दामों से है । भारतीय खाना छोड़ सकने लायक महंगा ।कुछ भाषागत समझ
सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा अंग्रेज़ी और चीनी है । चीनी भाषा के कुछ शब्द जो मैने यहाँ सीखे -
नहीं - बेओ , हाँ - शी ।
मैं - वा, तुम - नी, वो - ता
संबंध दिखाने के लिए दॉ/तो का इस्तेमाल होता है । जैसे, मेरी पेंसिल - वा दॉ पेंसिल ।
लेकिन इसे बोलते समय accent या pitch का बहुत ध्यान रखना पड़ता है ।
वैसे आपको बता दें, यहाँ मलय भाषा भी बहुत समझी जाती है; तमिळ अपेक्षाकृत बहुत कम । निस्संदेह इस लेख मात्र से आपको पूरी जानकारी नहीं मिल सकती । लेकिन जानते रहिये, ढूंढते रहिये...
अन्त में
आने लायक जगह, रहने लायक जगह लेकिन बसने लायक नहीं । अगर कुछ देर के लिए आए हों तो खुले दिमाग़ से आइये अजनबियों से मिलिये, जानिये और सीखिये । उसके बाद .. फुर्रर्र.. । अन्त में इतना ही कहूँगा कि अगर अत्यधिक पैसे ना मिल पा रहे हों तो यहाँ रहने का ख़ास फ़ायदा नहीं ।
No comments:
Post a Comment