Friday 23 December 2016

Sanskrit words commonly misunderstood.



Hello!
I have compiled these 10 words whose meanings are generally misunderstood. This will be very useful before you start reading Upanishads and Vedas. It's more often than not that if you know classical Sanskrit (Kalidas, Bhasa or Sayana for example), you'd understand these words differently. For most of them people either know only one tradition's views or are confused.

इन शब्दों के संपूर्ण अर्थ संस्कृत विद्वानों को भी कम ही पता होते हैं । ख़ासकर वेदों और उपनिषदों को पढ़ने से पहले इनको ज़रूर देखें । मैं वैदिक साहित्य का कोई विशेषज्ञ तो नहीं हूँ, पर इतना ग़ौर किया है कि कई शब्द बिना अर्थ जाने, और आधुनिक भारतीय भाषाओं में इनके अर्थ जानने पर भी वैदिक साहित्य में उनका अर्थ अलग हो सकता है । अगर संपूर्णतया अलग नहीं तो कम से कम अंशतः अलग हो सकता है, जिससे कभी-कभी विचारों को ग़लत समझ लिया जाता है ।

जिन शब्दों की नीचे चर्चा होगी उनमें प्रमुख हैं - देव, पुरुष, लिंङ्ग, सोम, योग, यज्ञ इत्यादि । यहाँ उन्हीं शब्दों का ज़िक्र है जिनको हिन्दी, बांङ्गला या कन्नड़ के आधुनिक प्रयोग मात्र से नहीं जाना जा सकता है ।


  1. Deva (देव) - यानि देवता जिसका विख्यात अर्थ है - divine and God (human-like). However, this actually comes from dad root (giving). Words like दान, देना etc are made from it; which means anything that has been GIVING you. Either material or spiritual force. Like a tree, like a river, sun, moon or a knowledgeable person. In Vedas, a scholar and your senses (nerves) are also called devas. The meaning can be discerned from one of the three dukhas - आधिदैविक and how distinguished it is from आधिभौतिक and आधिआत्मिक - आध्यात्मिक ।
  2. Purusha (पुरुष) - Atma, Soul. In modern usages this has been linked to males/men. However, in Vedic literature this means the soul. Rigvega 10.190 (Purusha Sukta) is a great example to learn that. Also, Sankhya tradition, preached by sage Kapil use this for that purpose. After Classical Sanskrit the modern Hindi/Kannada meaning changed from there. In other darshan books the same follows. संस्कृत में male के लिए पुंस शब्द का इस्तेमाल होता है जिसका प्रयोग पुंसवन और नपुंसक जैसे शब्दों में होता है ।
  3. Lingam (लिंङ्गम) - Symbol, sign. Vaisheshik Shastra by Kanada and Nyaya by Gotama use this multiple times and make the meaning very clear. However, in modern Hindi terms, it has only one meaning - human phallus. You may see its use in word Shiva Lingam.
  4. Indra (इन्द्र) - इस शब्द को आधुनिक लोक-व्यवहार में देवताओं का राजा कहते हैं । लेकिन ध्यान रहे कि देव, जगत की दिव्य शक्तियों को कहा गया है जो हमें शक्ति, सामर्थ्य या चिन्तन प्रदान करती हैं । यानि सूर्य-चांद, विद्वान पुरुष, कोई अच्छी कहावत या कोई लाभकारी आदत इत्यादि सभी देवों के अंतर्गत ही गिने जाएँगे । इन सबका राजा परमात्मा को माना जाता है, अतः इन्द्र शब्द से प्रथमतः ईश्वर का बोध होता है । लेकिन इसके अलावे राजा, बिजली और आत्मा (इन्द्रियों का राजा) इत्यादि को भी इन्द्र कहा गया है । ऋग्वेद के आठवें मंडल में इन्द्र की कई ऋचाएँ हैं ।
  5. Yajna (यज्ञ) - For many, it means the process of havana or fire sacrifice. However, it actually means sacrifice and spiritual journey. Sacrifice of the material or mental comfort-providing material. If you donate something that makes your life comfortable, its called a yajna. May that havi be your material wealth, or peaceful time to society for something good - but still not for gaining praise as then you are gaining mental comfort than scarifying it.
  6. Yoga (योग) - In west (and for many Indians) it means just the Asana, Pranayam and Dhyana. For most part, it is misunderstood. Yam, niyam, pratyahar and dharana are other important aspects. And probably it doesn't mean making your soul united with god, they always are. Also, the part of Yama and Niyama is respectively physical and mental. शब्दार्थ के रूप में भी इसका अर्थ बराबर करना, या साथ लगना होता है ।
  7. Soma (सोम) - Many think it's name of the devata and some think its some kind of a drink/potion made from somalata. However, it actually is any physical or mental thing that makes your life delightful or soumya. Most common example is moon light, hence moon is also called som. However, peaceful light, soft thought, natural beauty or warm temperature are other things that can be defined as som. The indo-european theory links it to Haoma, however I doubt that. Rigveda Mandal 9 is full of Soma mantras.
  8. Prakrti(प्रकृति) - Means material, not trees and mountains. Things devoid of life. Plants don't fall into Prakriti!
  9.  Ashvins (अश्विन) - Doesn't mean two sons of sun. It also means day and night as two effects coming due to relative motion between Sun and Earth. अशन का अर्थ होता है व्यापन करना । आशु का अर्थ होता है - तेज़ी से व्यापन करना । आशुतोष या आशुकवि जैसे शब्द इस भावना को व्यक्त करते हैं । अश्व का अर्थ होता है 'तेजी से व्यापन होने वाला' (घोड़ा) । वैदिक साहित्य में अश्वः और गौः में कई जगहों पर फर्क किया गया है । गो का अर्थ इर्द-गिर्द चलने वाला, या परिक्रमा करने वाला होता है (जैसे कि पृथ्वी, चाँद) । अश्व का एक अर्थ किरण है जो अत्यधिक तेजी से चलती है, व्याप्त हो जाती है ।
  10. Hiranya(हिरण्य) - मैं इसको हिरण से जुड़ा हुआ समझता था । इसका सबसे प्रधान अर्थ है चमक, तेज । सोना (धातु) के लिए इसका प्रयोग होता रहा है । ऋग्वेद का प्रसिद्ध हिरण्यगर्भ सूक्त इसका एक अच्छा उदाहरण है ।
There are many words that allure people due to its classical Sanskrit usage. I have known only a few. There are many more. A simple list of almost synonyms confuses me a lot: मन-बुद्धि-विवेक-चित्त-प्रज्ञा । अगर आपको इनके बारे में कुछ पता हो तो ज़रूर लिखिएगा ।

(What is Classical Sanskrit? - That started later, after the Vedic Sanskrit era. Some of the words, letters and pronunciation diminished. Some of the words even changed due to their only use of meaning. Longer nouns and less wide meaning is characteristics. However, Kalidas, Jayadev, Kalhan, Bhas, Sayana etc. are most prominent poets/writers of this age.)




Sunday 20 November 2016

इंडोनेशिया को जानने की दिशा में


Indonesia - how would you find it. An overall glimpse!

पिछले साल मै इंडोनेशिया पाँच बार गया । इसकी संस्कृति और लोगों को समझने की कोशिश यहाँ लिखी जा रही है । आम भारतीय नज़रिये में इंडोनेशिया कोई बड़ा पर्यटक, व्यापारिक या सांस्कृतिक देश के रूप में प्रसिद्ध नहीं है । इतना ही कहूँगा कि - जानने लायक और व्यापार की दृष्टि से भी बहुत उपयुक्त है ।

इंडोनेशिया देखने में भारत जैसा लगता है ।



सड़के एक दम भारत जैसी - बहुत चौड़ी नहीं, किनारों में गडढे, गड्ढों में पानी । लोग अपने काम से मतलब रखने वाले और मददगार, लेकिन भाषा की समस्या । अग्रेज़ी की लिपि में लिखी स्थानीय भाषा को बहासा कहते हैं । सड़को के किनारों की दुकानों की चीज़ों/उत्पादों में सर्विस करने वालों का अनुपात भारत के छोटे शहरों जैसा ही । लेकिन सड़कों पर भारत के मध्यम आकार के शहरों से अधिक भीड़ नहीं दिखती । सिग्नल पर लोग रुकते हैं - स्वेच्छा से, वर्दी वालों के डर से नहीं । लड़कियों की सुरक्षा भारत से कहीं अधिक ।

Indonesia का नाम और पेड़-पौधे भी भारत की तरह लगते हैं । जहाँ सोलहवीं सदी में भारत के जैसी संस्कृति के कारण इसका नाम इंडोनेशिया रखा गया था - आज सिर्फ़ देखने में भारत की तरह है । पेड़ो में केला, पपीता, नारियल, बांस, आम इत्यादि भारत की  याद दिलाते हैं तो और भी कुछ वृक्ष और झाड़ियाँ हैं जो भारत से थोड़ी अलग दिखती हैं ।

पर्यटक द्वीपों पर पूरी relaxed feeling आती है ।


भारत से अलग जो चीजें हैं उनमें - गलियों में गंध (चिकन के चमड़ी लगे खाने की) और संगीत में ढिन-चिन की बहुत सरल और पकाने वाली आवृत्ति । जहाँ भारत में शाकाहारी खाना ढूंढना बिल्कुल भी मुश्किल का काम नहीं - चाहे केरल में ही क्यों न हो - यहाँ थोड़ा मशक्कत करनी पड़ती है । अक्सर तो आलू-चिप्स के पैकेट भी मछली के flavour में आते हैं ।

सबसे आम खाना - नासी गोरेंग यानि Fried Rice

बोली - Bahasa

मलय अख़बार एनालिसा (विश्लेषण)

बहासा को बोलना तो थोड़ा मुश्किल है, लेकिन समझने के लिये एक छोटा प्रयास आपके लिए मददगार साबित हो सकता है । आधुनिक बहासा में, मूल मलय के अलावे ११वीं सदी के संस्कृत, १६वीं सदी के अरबी और १९वीं सदी के डच प्रभाव को ध्यान में रखें । कहीं पर राजा, रसा और बहाया जैसे शब्द संस्कृत मूल के हैं । या Selamat Datang में सेलामत अरबी मूल का है । इसी प्रकार डच मूल के शब्दों पर अंग्रेज़ी से संबंध डाल कर ध्यान दें । Station को stasiun या Information - Informasi जैसे शब्दों पर ध्यान दें । इसी तरह Orange Juice को Jus Oran लिखा पाएंगे ।


बाज़ार-व्यापार


इंडोनेशिया एक कम विकसित देश लगता है । जटिल चीज़ों में शायद ही किसी का निर्माण यहाँ होता हो । गाड़ियों में होन्डा, टोयोटा, मित्सुबिशी का वर्चस्व तो टीवी-वीडियों में भी जापान-कोरिया छाया हुआ । जापानी नाम और गुणवत्ता को टक्कर देना अभी भारतीयों के लिए, वो भी अपने देश से दूर तो बहुत मुश्किल होगा ।

व्यापार के नज़रिये से जो चीज़ सबसे आकर्षक लग सकती है वो है खाने की चीज़े । जी हाँ, हल्दीराम हो या वड़ा-पाव यहाँ के लोगों को बहुत रास आएगा, ऐसा लगता है । बस थोड़ा मांसाहारी बनाकर पेश कीजिये - जैसे नमकीनों में मछलियों के फ्लेवर या वड़ा-पांव में चमड़ी लगी चिकन के टुकड़े । ऐसा कहने के दो कारण हैं - यहाँ का अपना खाना काफ़ी रसहीन है । और यहाँ मसाले स्थानीय रूप से उगाए जाते हैं ।

पिछले कुछ सालों (४-५) में यहाँ की अर्थव्यवस्था बढ़कर फिर से सुस्त हुई है । एशियन विकास बैंक की इस रिपोर्ट में यहाँ के वित्तीय व्यवस्था में बहुत संभावनाएँ देखी गई हैं, लेकिन इनका समुचित इस्तेमाल नही हो पा रहा है । यहाँ पेट्रोलियम सही मात्रा में है । लेकिन थोड़े complex मशीनों या सामानों का निर्माण नहीं होता, उन्हे बाहर से मंगाया जाता है ।

इस कारण से अगर मान लीजिये कि आपको गैस टरबाइन, कोई laboratory testing equipment जैसे yield stress मापने वाली मशीन या बच्चों के लिए नए ढंग के खिलौने जैसी चीज़ बनानी आती है तो इनको बनाकर बेच सकते हैं । सारा कच्चा सामान यहीं मिल जाएगा - पेट्रोलियम, खनिज और सस्ते श्रमिक । ध्यान रखिये कि मलेशिया, दुबई और सिंगापुर में  शायद सबसे अधिक श्रमिक यहीं से आते हैं । और एक ग्रामीण बाज़ार देखकर आप सोच सकते हैं कि यहाँ और किन चीज़ों की ज़रूरत है:
 स्थानीय बाज़ार सुविधाओं से लैश नहीं 


ऐसा लगता है कि इंडोनेशिया में महसूस करने को बहुत कुछ है, लेकिन सबकुछ लिखा नहीं जा सकता । इसलिए फिर कभी । अधिक जानकारी के लिए Bintan, Toba (Sumatera), Surabaya के वृत्तांत देखें । घूमिये, और अंग्रेज़ी ना बालने वाले देशों में भी अच्छे लोग होते हैं - इसका एहसास लीजिये । जाते-जाते एक बुद्ध प्रतिमा जिसके बारे में अरबी लिपि में बोर्ड लगा है -


अरबी लिपि में बुद्ध प्रतीक का वर्णन - स्वात और बमयान के तालिबान से कितना अलग!

Tuesday 21 June 2016

Southern India 2 - central Tamil Nadu

A few places and culture in southern India -  Central Tamil Nadu.

दक्षिण भारत में ४ दिनों का एक टन  - मध्यवर्ती तंजौर और आसपास - कुंभकोणम्, नागापट्टिणम, वेलंकण्णी और त्रिचुरापल्ली । इन इलाकों से कावेरी नदी बहती है और धार्मिक रूप से आकर्षण का केंद्र रही है । इस जिले के ग्रामीण इलाकों की कुछ तसावीर -



तंजौर जिले के ग्रामीण इलाक़े
तंजावुर जिले में कोई २५०० मंदिर हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध है बृहदेश्वर मंदिर । स्थानीय भाषा में इसे पेरिया कोविल (बड़ा मंदिर) भी कहते हैं और ब्रिगद्देश्वरा भी ।

रात की धुंधली रोशनी में बृहद्देश्वर मंदिर - ११वीं सदी में बना शिव मंदिर



आगे बढ़ने से पहले इलाके के बारे में - यह मदुरै और चेन्नई के बीच आता है। रास्ते के आसपास के नगरों का विवरण यहाँ देखिये -
नागापट्टणम औक कुंभकोणम् का रास्ता

तंजावुर


तंजावुर शहर मध्यम आकार का है, लेकिन शांत है । सड़के मारा-मारी और हॉर्न से विहीन तो नहीं, लेकिन परेशान नहीं दीखतीं । अप्रील की शुरुआत में बहुत गर्म । बृहदेश्वरा शहर के एक छोर पर बसा है, यहीं नया बस स्टैंड भी है ।


तंजावुर महल के म्यूज़ियम भी बहुत अच्छे हैं । सरस्वती महल लाइब्रेरी भी अच्छी है ।
तंजावुर के नायक राजाओं के महल की सजावट
तंजावुर नायक महल (१५३०-१७३०) के बीच के राजाओं का महल था । इसके अंदर की सरस्वती लाइब्रेरी में तमिळ और मराठी के लिखे धार्मिक और ऐतिहासिक साहित्य मिलते हैं । इसके संग्रहायल में एक नायक राजा के आदेश पर चारों वेदों को मिलाकर बनी एक पुस्तकाकार संहिता भी मिलती है । इसके पन्ने एक अख़बार के आधे हैं और इसमें कोई २००० पन्ने दीखते हैं जो देवनागरी लिपी में संस्कृत में लिखी है ।

महल का घंटाघर


तंजावुर की ज़िला लाइब्रेरी ।


तंजावुर की ज़िला लाइब्रेरी - अप्रील की गर्मी में

कुंभकोणम


कुंभकोणम शहर भर में कोई १०० मंदिर होंगे । सबसे प्रसिद्ध है नवग्रह मंदिर जो शहर के आसपास २५ किमी में अलग-अलग दिशाओं में बने हैं । जैसा कि नवग्रह मंदिरों में अक्सर होता था - ये एक दूसरे से एक अष्टकोण के आकार में अवस्थित होते थे ।


कुंभकोणम के प्रसिद्ध सरोवर के पास की सड़क - तीन मंदिर




कुंभकोणम में वेद पाठशाला बहुत पुरानी है ।

कुंभकोणम के पास की कावेरी नदी - नहर से अधिक नहीं (शुरुआती अप्रील में)

नागापट्टिणम - वेलंकण्णी


नागापट्टिणम् का वो बीच जहां सुनामी का सबसे अधिक असर हुआ -

वेलंगणी बीच पर अब-सब बराबर दीखता है ।

यहाँ से १० किलोमीटर उत्तर में प्रसिद्ध दरगाह शहर नगर है जबकि दक्षिण में ईसाई केन्द्र वेलंगण्णी ।
वेलंगण्णी का Basilica Church


यह सोलहवीं सदी में पुर्तगीज़ लोगों द्वारा बनाए गए चर्च के स्थल पर बनी नई इमारत है जहाँ मैं त्रिवेन्द्रम से आए एक जोड़े से मिला ।

बात करने के लिए

यहाँ तमिळ के अलावे अंग्रेज़ी ही काम देगी । हाँलांकि पानीपुरी बेचने वालों से हिन्दी में बात कर सकते हैं जो इलाहाबाद और कानपुर से आए हैं ।

भाई - अण्णा (भूल के भी तंबी मत कहिये)
क्या, कैसे - एन्ना, एप्पडी
कितना समय - एत्तणा मणिक्की
कब - एप्पो
खाना - साप्पडा
बस किधर मिलेगी - बस एंगे वरिगै






Friday 4 March 2016

Sprint to Himachal-Punjab border

A quick tour near Bhakra-Nangal Dam on the Punjab-Himachal Pradesh border.


पंजाब-हिमाचल सीमा पर भाखड़ा-नगल बाँध यूँ तो भारत का सबसे ऊँचा नदी बांध है लेकिन इसकी रचना के अंदर तक जाना हम जैसे नागरिकों की सुविधा-सूची में शामिल नहीं । लेकिन जो नसीब में है - वो है गोबिंदसागर झील । प्राकृतिक पहाड़ों के बीच बना, कोई ५०० वर्ग किलोमीटर में फैले इस झील के एक तरफ़ पंजाब है तो दूसरी तरफ़ हिमाचल ।

भाखड़ा-नंगल बांध हेतु बना गोबिंद सागर झील


झील के किनारे बनी अस्थाई दुकानों में तली हुई मछली और मक्के की रोटी न छोड़ने लायक है । नयना देवी का मंदिर और आनंदपुर साहिब का केसगढ़ गुरुद्वारा दोनो, अलग-अलग दिशओं में २० किलोमीटर की दूरी पर हैं । पर्यटकों को जान लेना चाहिए कि शाम के चार बजे के बाद नंगल बाँध-क्षेत्र से नयना देवी के मंदिर का रास्ता सुरक्षा कारणों से बन्द कर दिया जाता है । लेकिन गुरुद्वारे से होकर जाने वाला रास्ता तब भी खुला रहता है ।

आनंदपुर साहिब


यह गुरुद्वारा सन् १६७५ में बनाया गया था, दसवें गुरु गोबिंदसिंह जी द्वारा । यहाँ से मुग़ल शासन से लोहा लेने की शपथ खाई गई थी । यह गुरुद्वारा शहर के एक ऊँचे टीले पर बना हुआ है । साथ ही लगा है लंगर और सराय ।

आनंदपुर साहिब गुरुद्वारे का सराय (धर्मशाला)


गुरुद्वारे का सराय (सरां) रहने के लिए उपयुक्त जगह । सौ रुपये प्रतिरात का किराया, एक भारतीय स्तर के ठीक-ठाक साफ़-सुथरे कमरों वाला । इसके ठीक पास में लंगर है जहाँ मुफ़्त भोजन भी उपलब्ध है । सराय की रजाई तो जाड़े के लिए अचूक उपाय थी ।

नंगल बाँध


नंगल स्टेशन और शहर एकदम छोटा और वीरान सा । आनंदपुर साहिब से कोई 30 किलोमीटर दूर ।

नंगल स्टेशन - एकदम वीरान, उत्तर भारत के लिए एक आश्चर्य 

नंगल बाँध के अन्दर जाने की इजाज़त तो हम जैसे साधारण लोगों को नहीं है, लेकिन गोबिन्दसागर झील आप घूम सकते हैं । झील प्राकृतिक पहाड़ियों के बीच घिरा हुआ है । इसके किनारे कहीं-कहीं खाने की दुकानें हैं जहाँ मक्के की रोटी और तली हुई मछलियाँ बहुत अच्छी हैं ।

तली मछलियों की दुकान


नंगल बाँध और गोबिन्दसागर झील के किनारे रहने की कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन दिन में इसके चारो ओर घूमा जा सकता है । झील बहुत सौम्य और शांत वातावरण वाला । इसके ही दूसरी ओर है प्रसिद्ध नैना देवी मंदिर जो पहाड़ी पर है ।

नयना देवी मंदिर


झील के दूसरी ओर, हिमाचल प्रदेश की सीमा में पड़ने वाले नैना देवी मंदिर जाने के लिए कोई ५०० सीढ़ियाँ चढ़नी होती हैं । इन सीढ़ियों पर दुकानें हैं और करतबबीन भी ।

अगजर साँप वाली 

इस साँप को अपने बदन पर रखिये और Facebook या WhatsApp पर खटाक से शेअर कीजिये । इसके लिए आपको कोई २० रुपये देने होंगे ।

इन इलाक़ों में आने पर पंजाबी भाषा आपको हर तरफ़ सुनाई देगी । "ओ गया सी", "कित्थे जाणा आपनूँ जी" जैसे वाक्य सुमाई देंगे । उत्तर भारतीयों के  लिए बहुत मुश्किल तो नहीं । बस जी, और 'न' की जगह 'ण' का प्रयोग करते रहिये । जैसे, जाना है को "जाण्णा है जी" कहिये । 

इन तीनों जगहों पर जाने के लिए गरमियों में एक दिन और जाड़े में दो दिन लगते हैं ।