Sunday 20 November 2016

इंडोनेशिया को जानने की दिशा में


Indonesia - how would you find it. An overall glimpse!

पिछले साल मै इंडोनेशिया पाँच बार गया । इसकी संस्कृति और लोगों को समझने की कोशिश यहाँ लिखी जा रही है । आम भारतीय नज़रिये में इंडोनेशिया कोई बड़ा पर्यटक, व्यापारिक या सांस्कृतिक देश के रूप में प्रसिद्ध नहीं है । इतना ही कहूँगा कि - जानने लायक और व्यापार की दृष्टि से भी बहुत उपयुक्त है ।

इंडोनेशिया देखने में भारत जैसा लगता है ।



सड़के एक दम भारत जैसी - बहुत चौड़ी नहीं, किनारों में गडढे, गड्ढों में पानी । लोग अपने काम से मतलब रखने वाले और मददगार, लेकिन भाषा की समस्या । अग्रेज़ी की लिपि में लिखी स्थानीय भाषा को बहासा कहते हैं । सड़को के किनारों की दुकानों की चीज़ों/उत्पादों में सर्विस करने वालों का अनुपात भारत के छोटे शहरों जैसा ही । लेकिन सड़कों पर भारत के मध्यम आकार के शहरों से अधिक भीड़ नहीं दिखती । सिग्नल पर लोग रुकते हैं - स्वेच्छा से, वर्दी वालों के डर से नहीं । लड़कियों की सुरक्षा भारत से कहीं अधिक ।

Indonesia का नाम और पेड़-पौधे भी भारत की तरह लगते हैं । जहाँ सोलहवीं सदी में भारत के जैसी संस्कृति के कारण इसका नाम इंडोनेशिया रखा गया था - आज सिर्फ़ देखने में भारत की तरह है । पेड़ो में केला, पपीता, नारियल, बांस, आम इत्यादि भारत की  याद दिलाते हैं तो और भी कुछ वृक्ष और झाड़ियाँ हैं जो भारत से थोड़ी अलग दिखती हैं ।

पर्यटक द्वीपों पर पूरी relaxed feeling आती है ।


भारत से अलग जो चीजें हैं उनमें - गलियों में गंध (चिकन के चमड़ी लगे खाने की) और संगीत में ढिन-चिन की बहुत सरल और पकाने वाली आवृत्ति । जहाँ भारत में शाकाहारी खाना ढूंढना बिल्कुल भी मुश्किल का काम नहीं - चाहे केरल में ही क्यों न हो - यहाँ थोड़ा मशक्कत करनी पड़ती है । अक्सर तो आलू-चिप्स के पैकेट भी मछली के flavour में आते हैं ।

सबसे आम खाना - नासी गोरेंग यानि Fried Rice

बोली - Bahasa

मलय अख़बार एनालिसा (विश्लेषण)

बहासा को बोलना तो थोड़ा मुश्किल है, लेकिन समझने के लिये एक छोटा प्रयास आपके लिए मददगार साबित हो सकता है । आधुनिक बहासा में, मूल मलय के अलावे ११वीं सदी के संस्कृत, १६वीं सदी के अरबी और १९वीं सदी के डच प्रभाव को ध्यान में रखें । कहीं पर राजा, रसा और बहाया जैसे शब्द संस्कृत मूल के हैं । या Selamat Datang में सेलामत अरबी मूल का है । इसी प्रकार डच मूल के शब्दों पर अंग्रेज़ी से संबंध डाल कर ध्यान दें । Station को stasiun या Information - Informasi जैसे शब्दों पर ध्यान दें । इसी तरह Orange Juice को Jus Oran लिखा पाएंगे ।


बाज़ार-व्यापार


इंडोनेशिया एक कम विकसित देश लगता है । जटिल चीज़ों में शायद ही किसी का निर्माण यहाँ होता हो । गाड़ियों में होन्डा, टोयोटा, मित्सुबिशी का वर्चस्व तो टीवी-वीडियों में भी जापान-कोरिया छाया हुआ । जापानी नाम और गुणवत्ता को टक्कर देना अभी भारतीयों के लिए, वो भी अपने देश से दूर तो बहुत मुश्किल होगा ।

व्यापार के नज़रिये से जो चीज़ सबसे आकर्षक लग सकती है वो है खाने की चीज़े । जी हाँ, हल्दीराम हो या वड़ा-पाव यहाँ के लोगों को बहुत रास आएगा, ऐसा लगता है । बस थोड़ा मांसाहारी बनाकर पेश कीजिये - जैसे नमकीनों में मछलियों के फ्लेवर या वड़ा-पांव में चमड़ी लगी चिकन के टुकड़े । ऐसा कहने के दो कारण हैं - यहाँ का अपना खाना काफ़ी रसहीन है । और यहाँ मसाले स्थानीय रूप से उगाए जाते हैं ।

पिछले कुछ सालों (४-५) में यहाँ की अर्थव्यवस्था बढ़कर फिर से सुस्त हुई है । एशियन विकास बैंक की इस रिपोर्ट में यहाँ के वित्तीय व्यवस्था में बहुत संभावनाएँ देखी गई हैं, लेकिन इनका समुचित इस्तेमाल नही हो पा रहा है । यहाँ पेट्रोलियम सही मात्रा में है । लेकिन थोड़े complex मशीनों या सामानों का निर्माण नहीं होता, उन्हे बाहर से मंगाया जाता है ।

इस कारण से अगर मान लीजिये कि आपको गैस टरबाइन, कोई laboratory testing equipment जैसे yield stress मापने वाली मशीन या बच्चों के लिए नए ढंग के खिलौने जैसी चीज़ बनानी आती है तो इनको बनाकर बेच सकते हैं । सारा कच्चा सामान यहीं मिल जाएगा - पेट्रोलियम, खनिज और सस्ते श्रमिक । ध्यान रखिये कि मलेशिया, दुबई और सिंगापुर में  शायद सबसे अधिक श्रमिक यहीं से आते हैं । और एक ग्रामीण बाज़ार देखकर आप सोच सकते हैं कि यहाँ और किन चीज़ों की ज़रूरत है:
 स्थानीय बाज़ार सुविधाओं से लैश नहीं 


ऐसा लगता है कि इंडोनेशिया में महसूस करने को बहुत कुछ है, लेकिन सबकुछ लिखा नहीं जा सकता । इसलिए फिर कभी । अधिक जानकारी के लिए Bintan, Toba (Sumatera), Surabaya के वृत्तांत देखें । घूमिये, और अंग्रेज़ी ना बालने वाले देशों में भी अच्छे लोग होते हैं - इसका एहसास लीजिये । जाते-जाते एक बुद्ध प्रतिमा जिसके बारे में अरबी लिपि में बोर्ड लगा है -


अरबी लिपि में बुद्ध प्रतीक का वर्णन - स्वात और बमयान के तालिबान से कितना अलग!