Wednesday 16 December 2015

A Desi in Singapore - Primer

This blog is for all desis willing/thinking/planning to come to Singapore. What they should expect and plan.
Singapore Harbour

सिंगापुर, भारत की नज़रों में एक विकसित एशिया की झलक - पैसे, शॉपिंग, सफ़ाई, व्यवस्था । सिंगापुर एक शहर भर का देश है, 40x30 किमी के आकार का । इससे पहले कि मैं अपना मुँह और आपका दिमाग़ खोलूँ, दो ही शब्द - व्यवस्था और सतही ।
सिंगापुर

हाँ, ये बहुत व्यवस्थित है लेकिन -चीनी संस्कृति को छोड़कर बाकी सब - आदर्शों पर खड़े उतरने की नाकाम कोशिश मात्र । चाहे वो विचारों का खुलापन, खानपान की शैलियों में यथार्थ या फ़िर लोगों का व्यवहार - पश्चिम के अनुकरण की कोशिश मात्र है । दो महीने रहने पर ये बातें साफ़ होतीं हैं । ऐसा नहीं है कि यहाँ कुछ नहीं मिलता हो, लेकिन अगर आसपास का हो तो उतना अपनापन नहीं और अगर पश्चिम का तो बहुत महंगा । अगर आपको यहाँ रहने के अच्छे ख़ासे पैसे न मिल रहे हों तो कोई मतलब नहीं है यहाँ आने का । सबकुछ व्यवस्थित है, लेकिन सब कुछ सतही । इस सतह के अन्दर झाँको तो व्यवस्था झाँकने नहीं देती ।

एक बस-स्टॉप का नज़ारा

Things that you'd love:

यहाँ आम जीवन के लिये सब कुछ मौजूद है - साफ़ सड़कें, अस्पताल, सस्ती मेट्रो और बसें, दुकानें और बचत के पैसों को भारत भेजने पर आमदनी । सुरक्षा की दृष्टि से एकदम सही जगह है । रात के ३ बजे भी आप टैक्सी में आराम से बैठ सकते हैं - अकेली लड़की भी । बसें और ट्रेन समय पर चलती है - उनकी frequency भी अच्छी हैं । भारतीयों को यहाँ दिमागी लोगों के रूप में ही देखा जाता है - जैसे अन्य पश्चिमी देशों  में । लेकिन पश्चिम में भारतीयों को कंजूस या किफ़ायती भी समझा जाता है, यहाँ उतना नहीं ।

सिंगापुर के फूड कोर्ट - दोपहर में सबसे खाली रहते हैं
अगर आप चीनी खाने के शौकीन हैं तो यहाँ सब जगह मिलता है - सस्ते दामों में । लेकिन ये चीनी खाना भारत में मिलने वाले चायनीज़ रेस्तरॉँ के taste से कहीं बेस्वाद और नीरस होता है । इसलिए भारतीय मोमो या गोबी मंचूरियन की कल्पना मत कीजिएगा ।

Things that feel new to you:

महंगा बहुत है । ज़ाहिर है कि यहाँ बहुत कम चीजें देश के अन्दर बनती हैं - तो बाहर से मँगाने पर महंगी हो जाती हैं । शीशा, चीनी मिट्टी के बरतन, इलेक्टॉनिक्स इत्यादि सभी । भारत के मुकाबले कपड़े यहाँ डेढ़ गुणे दामों पर मिलते हैं । वैसे तो हम भारत में ही कपड़ों के बढ़ते दामों को लेकर परेशान हैं ।

सबसे अलग है यहाँ के फ़ूड कोर्ट । शुद्ध शाकाहारी खाना तो कम ही मिलता-बिकता है लेकिन अल्प मांसाहारी खाना मिल सकता है । अधिकांश लोग, अधिकांश समय बाहर खाते हैं - फूड कोर्ट में । ताजा और शाकाहारी खानों की कमी झलकती तो है लेकिन जुगाड़ हो जाता है । यहाँ की नौकरियाँ बौद्धिक और सेवा क्षेत्रों में बहुत है । इस तरह ये आपको एक बौद्धिक स्पर्धा और श्रेष्ठतम सेवा का अवसर देता है, लेकिन एक स्पर्धा का हिस्सा मात्र बनाकर छोड़ता है ।

होक्कियन नूडल
इस पर ये बता देना ज़रूरी समझता हूँ कि ये नूडल तो हर दुकान में मिलती है और ये दुकानें हर आबादी के पास के चौराहे और मॉल में, लेकिन अगर आप ब्रेड-ऑमलेट जैसी चीज़ कहीं ढूंढने निकले तो आपको १० किलोमीटर या ५०० रूपये ख़र्च करने पड़ सकते हैं । हालांकि अगर आप ब्रेड-आधा उबला हुआ अंडा खाना चाहें तो सब जगह हाज़िर रहेगा । आधे उबले हुए अंडे, अंदर से liquid रहते हैं ।

What you should learn
अगर आप यहाँ हैं तो चीनी भाषा और मलय-चीनी संस्कृति, मार्शल आर्ट आदि की क्लासेज़ ले सकते हैं । या लोगों से इस बारे में बात कर सकते हैं ।

संस्कृति

संस्कार में चीनी तत्व सबसे अधिक दिखता है - लोगों का खाना, दुकानदारों का दोनो हाथ जोड़कर पैसे वापस करना, लोगों का रात में नहाना इत्यादि इसके कुछ उदाहरण हैं । सबसे मज़ेदार है यहाँ की अंग्रेज़ी, जिसमें चीनी स्वर (accent) तो है ही, चीनी भाषा की तरह एकदम कम व्याकरण भी ! खाने के आम दुकान में चल रहे इस संवाद पर ध्यान दीजिए -

Do you have noodle soup? - Have!
And, do you have chicken rice? - Also have.
Do you have thai food? - No have.

सवालों के जवाब देखिये, कितने संक्षिप्त हैं - यहाँ आम लोगों से अंग्रेज़ी बोलने का यही तरीक़ा है । पूरे लम्बे वाक्य या जटिल प्रश्न पूछने का कोई फ़ायदा नहीं । अंग्रेज़ी ही सब जगह बोली जाती है, लेकिन भयानक चीनी (एशियाई) accent के साथ ।

इतिहास और भूगोल के नाम पर एकदम शून्य है; लेकिन चीनी नववर्ष (फरवरी के शुरु में) और अगस्त के भूतों के पर्व पर कुछ सांस्कृतिक अनुभव मिल जाता है । दीपावली और ईद (दोनों) के दिन छुट्टियाँ होती है इसलिए हिन्दू और मुस्लिम समुदाय अपने उत्सव मनाते हैं । इसके अलावे बुद्ध पूर्णिमा और क्रिसमस की भी छुट्टियाँ होती हैं । भूगोल के नाम पर ५० मीटर उँची सड़क को भी बुकित (यानि पहाड़ी) के नाम से बुलाया जाता है ।

रहन-सहन और खर्च

यहाँ पर घर का किराया आपके खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा है, कुल ख़र्च के आधे या दो-तिहाई से भी अधिक । सफ़र करना, खाना (चीनी शैली) जैसी चीज़ें सस्ती है । मनोरंजन की चीजें - सिनेमा, खेलना, पार्टी-पब और घूमना ख़ासी महंगी । कपड़े और FMCG (शैम्पू, पेस्ट, डिटरजेंट) सामान थोड़े महंगे - सभी तुलना भारत के दामों से है ।  भारतीय खाना छोड़ सकने लायक महंगा ।

कुछ भाषागत समझ

सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा अंग्रेज़ी और चीनी है । चीनी भाषा के कुछ शब्द जो मैने यहाँ सीखे -

 नहीं - बेओ ,  हाँ - शी
मैं - वा, तुम - नी, वो - ता

संबंध दिखाने के लिए दॉ/तो का इस्तेमाल होता है । जैसे, मेरी पेंसिल - वा दॉ पेंसिल

लेकिन इसे बोलते समय accent या pitch का बहुत ध्यान रखना पड़ता है ।


वैसे आपको बता दें, यहाँ मलय भाषा भी बहुत समझी जाती है; तमिळ अपेक्षाकृत बहुत कम । निस्संदेह इस लेख मात्र से आपको पूरी जानकारी नहीं मिल सकती । लेकिन जानते रहिये, ढूंढते रहिये...

अन्त में

आने लायक जगह, रहने लायक जगह लेकिन बसने लायक नहीं । अगर कुछ देर के लिए आए हों तो खुले दिमाग़ से आइये अजनबियों से मिलिये, जानिये और सीखिये । उसके बाद .. फुर्रर्र.. । अन्त में इतना ही कहूँगा कि अगर अत्यधिक पैसे ना मिल पा रहे हों तो यहाँ रहने का ख़ास फ़ायदा नहीं ।



Saturday 3 October 2015

Lake Toba And Batak People - Sumatra, Indonesia



A trip to Lake Toba in sumatra. Lake has an Island of the size of Singapore and is populated by Batak people.

तोबा झील का समोसीर द्वीप - बाईं ओर द्वीप और दाहिनी ओर मुख्य भूमि
उत्तरी सुमात्रा में ज्वालामुखी झील तोबा एक प्रमुख आकर्षण का केन्द्र है । सुमात्रा के उत्तर में मेदान हवाई अड्डे से १५० किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम । झील के बीच समोसीर द्वीप है जो आकार में सिंगापुर देश के इतना बड़ा है । इस द्वीप पर कई गेस्ट हाउस हैं जो 4-5 दिनों की छुट्टी, शांति से बिताने के लिए उपयुक्त हैं । जान लें कि झील 440 मीटर गहरी है ।

पारापत बाज़ार में पान बेचती महिला । पान का स्थानीय नाम पता नहीं कर पाया  ।
यहाँ बताक प्राग्वासियों का घर है - ये बात तो आपको इंटरनेट पर पढ़ने पर मिल जाएगी । जो बात नहीं मालूम वो ये कि यहाँ पान भी मिलता है । हाँ, पान !  लेकिन स्थानीय भाषा में क्या कहते हैं मालूम नहीं । सुमात्रा को स्थानीय भाषा में Sumatera लिखते हैं - सुमातेरा ।


जाने के लिए मेदान से ट्रेन लेकर सियांतर और फिर वहाँ से पारापत (तिग्गा राजा हार्बर) और शा के सात बजे आख़िरी नाव लेकर समोसीर द्वीप के (टुक-टुक) तक जा सकते हैं ।  दिन में एक ही ट्रेन मेदान से पारापत के निकट सियांतर को जाती है, दिन के १ बजे के आसपास । सियांतर से टैक्सी या मिनी बस में परापत आया जा सकता है । टैक्सी वाले पैसेंजर के भरने से पहले टैक्सी नहीं चलाते । आप मेदान से पारापत की सीधी बस या टैक्सी भी ले सकते हैं । इस सीधी टैक्सी का किराया, ५लाख रुपिया होगा (इंडोनेशिया की मुद्रा रुपिया, भारतीय मुद्रा में इसका मूल्य २५०० रु हुआ. सितंबर २०१५) ।


Medan Airport से झील तक आने का रास्ता । 

 यहाँ पर चर्चों की संख्या, मुझे लगता है, इंडोनेशिया के किसी और इलाकों के मुकाबले सबसे अधिक है । मुख्यतः कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट हैं । जहाँ कैथोलिक को Katolik लिखते हैं, वहीं प्रोटेस्टेंट को Protesten । इन दोनों नामाकरणों में डच प्रभाव आसानी से गोचर होता है ।
झील के समोसीर द्वीप पर बने कॉटेज । पृष्ठभूमि में द्वीप के पहाड़ ।

बतक लोग और संस्कृति


बतक यहाँ के मूल निवासी हैं जो आज से कोई २०० साल पहले तक आदमखोर हुआ करते थे; आज वे बहुत मित्रवत हैं । जो चीज बहुत भाती है वो है उनका लकड़ी पर बनाया शिल्प ।


शिल्प में मुखौटे तीखे नैन-नक़्श वाले हैं - इनकी अपनी शक्लों से अलग ।

इनकी कला में छिपकिली जैसे जीव का दर्शन कई बार होता है । जो कलाकृति बनाई जाती है, मुख्यतः महोगनी की लकड़ी पर और ऐसा लगता है कि मैने दक्षिण प्रशांत महासागर के किसी द्वीप पर भी ऐसी कृतियाँ देखी हैं, लेकिन ध्यान नहीं आ रहा कहाँ ।

बताक कलाकृतियों में राजा-रानी के प्रतिमान ।
इसके अलावे यहाँ लोग कपड़ों की बुनाई का काम भी करते हैं । पर्यटकों के हेतु बनी दुकानों में ख़ासकर दिखते हैं ।

National Geographic के शायद २००१ जून के अंक में मैने पढ़ा था कि बताक लोग एक सदी पहले तक भी नरभक्षी थे । साथ ही मार्कोपोलो ने दक्षिणी सागर में जिन जनजातियों का ज़िक्र किया था - वो शायद बताक ही थे । इनके राजकाज संबंधी  बैठक का स्थान अब तक द्वीप पर देखा जा सकता है ।
बताक राजा का सभास्थल

पारापत बाज़ार


पापापत बाज़ार - किसी अत्यंत छोटे भारतीय शहर के हाट की तरह है ।
पारापत इलाका तो छोटा है लेकिन जनसंख्या ख़ासी दिखती है । भाषा न बोल पाने के कारण कुछ बात नहीं कर सकता । सूखी मछलियाँ, थोड़े फल, सब्ज़ियाँ और घरेलू सामान बहुत मिलते हैं यहाँ ।
पारापत बाज़ार में सूखी मछलियों की दुकान


इंडोनेशिया विकसित नहीं है, लेकिन देखने लायक, शांत लोगों से भरे द्वीपों का देश है । छुट्टियों के ८-१० दिन गुज़ारने के लिए बहुत उपयुक्त - परिवार के साथ । और विवरण फिर कभी, विदा !

अधिक तस्वीरों के लिए यहाँ जाएं - इनमें झील, गलियों और बोट पर  bikes के साथ मछलियों के transport की झलक मिलेगी । अगर पसंद आए तो comment करना मत भूलियेगा ।


Monday 21 September 2015

Prayaan - encouraging travel


I have realized that many central Indians don't travel so much. Here is an advice.

आखिर भारत के मध्यवर्ती इलाकों के लोग - मध्य वर्गीय, अंग्रेज़ी ना के बराबर बोलने वाले - विदेश क्यों नहीं जाते? विदेश यात्रा के बारे मे कुछ चीजें जो आपको पता होनी चाहिएं यहाँ लिख रहा हूँ।

इसका बहुत बड़ा कारण हैं - विदेशों  की जानकारी कम होने से पैसे अधिक ख़र्च होने की संभावना । अंग्रेज़ी को विदेश (विलायत) की भाषा समझना और स्थानीय भाषा के सिवा कुछ और समझने में झिझक ।

इतना अवश्य ध्यान में रखें कि कहीं भी हाथ की मुद्रा, भाव भंगिमा और कम शब्दों में बयान कर देने की क्षमता  ही आपको दुनिया में आगे ले जा पाएगी । एकदम अच्छी अंग्रेजी आपको एयरपोर्ट और अमेरिका-इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया के लिये ही आवश्यक है । अन्यथा नहीं !

बाहर की दुनिया देखिए - कहीं गाड़ियाँ तेज़ भागती हैं (पश्चिमी देश), कहीं लोग बहुत मददगार हैं (दक्षिणी यूरोप, इंडोनेशिया) तो कहीं का खाना अच्छा है । अगर आप थोड़ा पढ़ें को कम पैसों और परेशानी में दुनिया घूमी जा सकती है ।

वो देश जहाँ अच्छी अंग्रेज़ी बोलने भर से काम चल जाएगा

भाषागत सुझाव 


ये दिमाग़ से हटा दें कि अच्छी अंग्रेज़ी ही आपको विदेश में चंगा रख पाएगी । उपर के नक्शे में आप देख सकते हैं कि कितने कम देशों में आप बिना सहायता के, सिर्फ़ अच्छी अंग्रेज़ी बोलकर, अपने आप घूम सकते हैं । निस्संदेह इसके अलावे कई देश हैं जहाँ आपको, कम से कम पर्यटक स्थलों पर कोई दिक्कत नहीं होगी । जैसे - इटली, नेडरलैंद्स, अर्जेंटीना, कनाडा, मलेशिया इत्यादि । लेकिन अमेरिका जैसे देशों के कई क्षेत्रों और मार्केटों के लिए आपको एक अलग accent सीखने की आवश्यकता होगी । लेकिन, इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं कि आप बाहर ना निकलें । ज़रूर निकलें और लोगों को जानें, बात करें और ग़ौर करें । हाथ की मुद्रा, भाव भंगिमा और कम शब्दों में बयान कर देने की क्षमता का सहारा लें ।

भारत के आसपास के देशों में हिन्दी, बांग्ला या तमिळ पर्याप्त है, लेकिन हाथ की मुद्रा और भाव-भंगिमा के अलावे कम-से-कम शब्दों में दुकानदारों से बात करें । कन्फ़्यूज़न कम होती है ।

तीन किसम के विदेश हैं -

  • भारत के आसपास (अफ़ग़ानिस्तान से श्रीलंका तक), 
  • अंग्रेज़ी बोलने वाले देश (ब्रिटेन, अमरीका, ऑस्ट्रोलिया के अलावे सिंगापुर), और 
  • अंग्रेज़ी न जानने वाले (कई सुंदर और सभ्य देश)

इसके अलावे एक और चीज़  - अगर शाकाहारी खाना ढूंढने में दिक्कत हो रही हो तो भी प्रयास करें, मिल जाएगा ।

निकलिये, बाहर की दुनिया देखिये । व्यापार, ज्ञान और मन को बहलाने की असीम संभावनाएं हैं । दुनिया की संस्कृति को जानिये । कहीं अगर ५-७ दिनों  के लिये ही जा रहें हों तो अपने काम के अलावे स्थानीय संस्कार पर भी ध्यान दीजिये । अगर अधिक दिनों के लिए जा रहे हों तो स्थानीय लोगों से दोस्ती कीजिये ।

और अगर इतने पर भी बाहर जाने का हौसला न बन पाए, तो अपने देश में ही, अपनी भाषा और संस्कृति से अलग क्षेत्रों में घूमें । बच्चों की जानकारी, मनोरंजन और सेहत के लिए भी बहुत फ़ायदेमंद है घूमना ।


इन चीज़ों को जान लीजिये - इलेक्ट्रिक प्लग या सॉकेट किस प्रकार का है । विदेश जाने पर आपका पहचानपत्र सिर्फ आपका पासपोर्ट है । इसके अतिरिक्त कुछ ख़ास नहीं - पैन कार्ड जैसे भारतीय डॉक्यूमेन्ट किसी ख़ास काम के नहीं । ड्राइविंग लाइसेंस कुछ देशों में गाड़ी चलाने के लिए कुछ दिनों तक काम दे सकता है । ये भी जान लीजिये कि सड़के के किस ओर गाड़ी चलाते हैं - बाईँ या दाईं ।

घूमते रहिये - जानते रहिये ।

Saturday 18 July 2015

Most commonly interpolated sounds


ऐसी कुछ ध्वनियाँ जो कई बार एक-दूसरे की जगह प्रयुक्त होती हैं; या संधि करते वक़्त एक-दूसरे में बदल जाती हैं ।

I have compiled some sounds of speech (Phonemes) that get approximated most often. I am NOT a linguist at all; however I'd be glad to see experts' comment on any inconsistency, they might observe.


क्या आपने किसी को युवा को जुवा बोलते हुए सुना है, या शिकागो को चिकागो बोलते सुना है? अगर हाँ, तो ये blog आपके लिये लिखा जा रहा है । आपको मालूम है कि मध्यकाल के विशाल तुर्क साम्राज्य को अंग्रेज़ी में Ottoman कहते हैं जबकि हिन्दी-उर्दू में उस्मानी, ऐसा क्यों ? इसमें ये बताया जाएगा किए ऐसे interpolation अन्य किन भाषाओं में देखने को मिलते हैं । इस लेख में उच्चारण के लिए उचारना इस्तेमाल किया गया है ।

नागरी वर्ग के अन्दर


सबसे पहले तो ये जान लें कि देवनागरी और अन्य भारतीय वर्णमालाओं में व्यञ्जन वर्गों (क,च,ट,त,प) के पहले और तीसरे अक्षरों में बहुत समरूपता है । पहले, अक्सर तीसरे में बदल जाते हैं । दूसरे और चौथे में भी इसका प्रयाण होता है, लेकिन अपेक्षाकृत कम । जैसे, दि - दिग्गज में बदल जाता है, और उ - उभव में ।

इनको एक साथ इस सूची में रखा जा सकता है = क -ग, च-ज, प-ब, ट-ड, त-द इत्यादि । इनके बारे में और जानकारी संधि के नियमों को जानकर ली जा सकती है । यद्यपि ऐसे प्रयाण विदेशी भाषाओं में भी लगभग हर जगह होते हैं, ये पृष्ठ ऐसे साफ़गोचर ध्वनियों के लिये नहीं बनाया गया है ।

इतना ध्यान में रखें कि दक्षिण भारत की तरह लगभग संपूर्ण विश्व में वर्गों के दूसरे और चौथे वर्णों का प्रयोग नहीं के बराबर होता है । यानि, (ख, घ, छ, झ, ठ, ढ, थ, ध, फ, भ) - ये वर्ण दुनिया की सारी वर्णमालाओं में बहुत कम में पाए जाते हैं । जहाँ अरब ख़ और ह अधिक कंठ्य उच्चारित करते हैं, वहीं मराठी में 'झ' का उच्चारण zz ध्वनि की तरह होता है ।


नागरी वर्ग के पार


लेकिन वर्गों के अन्दर के बदलाव के अलावे भी वर्णों में कई वर्तन (morphing) होते हैं - क-च-ग, ज-ग-ह, क़-च इत्यादि । हम आगे इनके बारे में जानेंगे ।

व्यंजन अंतरण -

  • क ~ च  - उदाहरण के लिए ऋक् -ऋचा को लीजिये । संस्कृत में शो - शोति में बदल जाता है । इसी तरह  English Letter Ch को च की तरह उचारते हैं, जैसे च्वाइस (Choice) में; और C को क की तरह (Cord) । ऐसा प्रयोग इटालियन में सबसे प्रमुखता से मिलता है जहाँ कुछ vowel (स्वर; e, i ) के पहले आने वाले cc को च की तरह और अन्यथा क की तरह बोलते हैं । इनके अपने नियम हैं जो अंग्रेजी से अधिक स्थाई हैं ।  जैसे 'मोनिका बेलुच्ची' को Belucci लिखते  हैं, जिसे अनजाने में बेलुक्की भी पढ़ा जा सकता है । इसी तरह बोफ़ोर्स कांड में फँसे Ottavio Quattrocchi का उदाहरण है । 1
    अलग उच्चारण में जीभ की स्थिति (मोटे तौर पर) - समान ध्वनियों के उच्चारण स्थान निकट हैं ।
  • च ~ स - ये तमिळ में कई जगहों पर देखने को मिलता है । मूल तमिळ में  की ध्वनि के लिए   (ச) अक्षर का ही इस्तेमाल होता है । जैसे सिवा (शिव) को लिखने के लिए चिवा  (சிவ)लिखा जाता है, हाँलांकि पढ़ते है सिवा । लेकिन यही अक्षर ध्वनि के लिये भी प्रयुक्त होता है; जैसे दसवीं सदी का प्रसिद्ध साम्राज्य - चो (சொழ)। इसके अलावे असमी में भी  চ, एक ही अक्षर,  च और स के लिए इस्तेमाल होता है   यही अक्षर पड़ोसी बाँग्ला में केवल 'च' की ध्वनि के लिए इस्तेमाल होता है ।
  • च ~ श - ग़ौर कीजिये कि अंग्रेज़ी में ch कभी 'च' और कभी 'श' की तरह उचारे जाते हैं । जैसे choke - चोक, chute - शूट  । ऐसा फ्ऱांसीसी प्रभाव के कारण लगता है । फ्ऱेंच में तो 'Ch' को श ही बोलते हैं; जैसे Chocolate को शॉकलात पढ़ते हैं । लगभग ऐसा ही अरबी में भी देखने को मिलता है जहाँ चाय को शाय उचारा जाता है । ध्यान रहे कि अरबी वर्णमाला में 'च' की ध्वनि होती ही नहीं है । ऐसा ही उच्चारण आप नेपाल और आसपास के लोगों के बोलने में भी पा सकते हैं । 
  • य ~ ज - बिहार और बंगाल के कई लोग को से उचारते है, जैसे योग को जोग । लेकिन सिर्फ बंगाल में ही नहीं, दुनिया में और भी कई संस्कृतियों में इसका चलन है । जैसे - येरुशलम~जेरुशलम में, और यूसुफ़ ~ जोसेफ़ में भी इसकी छाप आपको मिलेगी । इसके अलावे इंडोनेशिया और वियतनाम में भी अंग्रेज़ी के अक्षर (y) को से उच्चारित किया जाता है । योग्याकार्ता (Yogyakarta) का स्थानीय उच्चारण जोग्जकार्रता है ।
  • थ ~ स - आपने कभी किसी नेपाली या उत्तरपूर्व के व्यक्ति को (Three) थ्री बोलते हुए सुना है । अक्सर वो श्री जैसा कुछ बोलते प्रतीत होते हैं (कम से कम मुझे) । चीनी भाषियों की बोलचाल में भी अंग्रेजी के 'Thank you' को 'शैंक यू' जैसा कुछ सुनने को मिलता है । आपको मालूम है कि इस्तांबुल में केंद्रित विशाल तुर्क साम्राज्य को अंग्रेज़ी में उस्मानी नहीं कहते है; Ottoman कहते हैं ।  यहाँ Uthman, Usman के लिए इस्तेमाल होता है । इसी प्रकार हदी को अंग्रेज़ी में Hadith लिखते हैं । क्या translation के लेन में भी ऐसा ही संदेश है? मैं तो नहीं जानता इसके आगे ।
  • ह ~ ग - H/G. सबसे पहला उदाहरण तो संस्कृत शब्द Maha और लैटिन Mega की समानता से मिलता है । हिन्द-आर्य भाषाओं के विद्वान इतने मात्र से ख़ुश हो जाएंगे । लेकिन यहाँ आपको बता दें कि ये रूपवर्तन Tamil में भी उतनी ही आसानी से गोचर होता है । तमिळनाडु के गाँवों में (हाँ, सिर्फ़ गाँवों में ही) हिमांशु को गिमांजु पढ़ा जा सकता है । कहीं अंग्रेज़ी में इन अक्षरों (G,H) के एक-दूसरे के आसपास रहने का यही राज़ तो नहीं ? संधि का एक उदाहरण - संस्कृत में स्नेह - स्निग्ध में बदलता है, दुह-दुग्ध में और मोह-मुग्ध में । सहोदर-सगा के संबंध का भी यही मूल हो सकता है । बोलचाल की तमिळ में महाशिवरात्रि को मगाशिवरात्रि कहा जाता है ।
  • H~Kh - अरबी में जहाँ उष्म ध्वनियों की बहुतायत है (हिन्दी के मुकाबिले) यह स्थांतरण देखने को मिलता है । उष्म ध्वनियाँ उनको कहते हैं जिनमें बोलने के समय हवा एकदम सँकरे रास्ते से गुज़रती है । जैसे बोलने में या या ह बोलने में ।  Hebrew का Halet - अरबी में Khalid बन जाता है ।
  • क़ ~ च - ये 'क' और 'च' वाले वर्तन से थोड़ा अलग है । यहाँ अरबी में ख्यात 'क़' का अंतरण 'च' में होता द्योत है । स्पेनिश में Q को च उचारा जाता है, जबकि अरबी में क़ (जैसे रक़ीब में - Raqeeb) । इस बात का असर स्पेनिश-पुर्तग़ाली उपनिवेशों और आसपास की भाषाओं के शब्दों में मिलता है । जैसे कि स्पेनिश में अरबी का मस्जिद - मेस्चिता बन जाता है जिसे Mesquita लिखते हैं । यही अंग्रेज़ी तक आते-आते Mosque बन जाता है । इसी प्रकार चीन के क्यांग (Qiang) को च्यांग पढ़ा जाता है । दक्षिण-पूर्व एशिया में भी यही चलन है । बर्मा की प्रसिद्ध नेता आंग सान सूची की अंग्रेज़ी Ang San Su Qui होती है जिसकी वजह से, ग़लती से लोग उन्हें आंग सान सूकी भी कह देते हैं ।
  • स~ज़ - शब्दशः जो विसन (Vision) दिखे उसको विज़न कहना । इसी प्रकार क्रियाओं के अन्त में Visualisation को Visualization जैसा पढ़ते-लिखते हैं ।
  • ग~ज - ऐसा अरबी में बहुत देखा जाता है जहाँ नहीं होता । तो 'ग' से बनने वाले शब्दों में 'ज' डाल दिया जाता है - ऐसे शब्द, विदेशी भाषाओं से लिये जाते हैं । जैसे गैब्रिएल (Gabriel) को जिब्राइल कहा जाता है । अंग्रेज़ी में भी G अक्षर का दोनों इस्तेमाल होता है - Get और Gene में । मिस्र की अरबी में माल को Gamal लिखा जाता है, हाँलाकि उच्चारण जमाल ही होता है ।
  • ल~र - प्रमुख उदाहरण चीनी भाषा में थ्रो- स्लो वाली जोड़ी से । पहले 'थ'~'स' बना और 'र'~'ल' । इसके अलावे पोलिश में मार्ग्रेट को Malgorzata लिखते हैं जहाँ पहले 'र' की जगह 'ल' का उच्चारण होता है । जापानी में इसका ठीक उल्टा होता है जहाँ 'ल' होता ही नहीं है । अतः बाहरी भाषाओं से आए ऐसे शब्दों में जहाँ 'ल' होते हैं, र से बदल दिए जाते हैं । यानि वहाँ इंग्लिश को इंग्रिश और लोशन को रोशन कहा जाएगा ।
  • क ~ ग - तमिळ नामों में विनाय, प्रायः विनायगा बन जाता है । इसी तरह जिसे अंग्रेजी में कैट (Cat) कहते हैं, उसे स्पेनिश में Gata कहा जाता है । लेकिन देवनागरी के एक ही वर्ग में स्थित होने के कारण अधिक आश्चर्य नहीं ।


स्वर अंतरण

  • ओ ~ उ - फ़ारसी में गुल को गोल उचारते हैं । इसी तरह ख़ुदा को ख़ोदा और सुख़न को सोख़न कहने का चलन है । दोनों ही ह्रस्व स्वर हैं ।
  •  ऐ ~ ई - ये भी फ़ारसी, अरबी जैसी भाषाओं में देखने को मिलती है । ग़ैर और ग़ीर दोनो को एक जैसा ही लिखा जाता है । इसी प्रकार ए और इ में भी अंतरण देखा जाता है; जैसे गेसू ~ गिसू ।

स्वर से व्यञ्जन

  • u ~ v - संस्कृत और  Arabic जैसी भाषाओं में गोचर होता है । संस्कृत में मनु से मानव बनता है, और रघु से राघव । अरबी में नूर~अनवार बनता है, जहाँ अ शुरु में आया और ऊ की मात्रा व में तब्दील हो गई ।  ध्यान दीजिये कि अरबी में व और ऊ के लिए एक ही अक्षर इस्तेमाल होता है - वाव (و) ।
  • ई ~ य - संस्कृत में और अरबी में  ऐसा देखने को मिलता है । संस्कृत में संधि- संध्या बनती है । इसी तरह इ से अंत होने वाले शब्द स्वर संधि में य में बदल जाते हैं । अरबी में इन दोनों ध्वनियों के लिए एक ही अक्षर इस्तेमाल में आता है - या (ي) । लेकिन इसी प्रकार अंग्रेजी का y भी य और ई दोनों के काम आता है - जैसे rosy और you में ।
इसके अलावे कई स्थानों में ध्वन्यंतरण उनके आस-पास की भाषाओं के संपर्क में आने से स्पष्ट देखने-सुनने को मिलती हैं ।
ऐसी कई ध्वनियाँ उनके उच्चारण के लिए प्रयुक्त होने वाले मौखिक स्थान के आसपास होने के कारण एक-दूसरे में बदल जाती हैं । इसका अधिक उल्लेख इस लेख में देखें (अंग्रेज़ी में) । लेकिन इससे अधिक व्याख्या मेरे वीक्षण-विश्लेषण से परे है, आपकी नज़र में कुछ और विश्लेषण हो तो ज़रूर लिखिएगा ।

लेकिन सावधान - ये सभी आँकड़े भारतीय, यूरोपीय, शामी और एशियाई भाषाओं से लिए गए हैं, जिनका संपूर्ण ज्ञान मुझको बिल्कुल भी नहीं है । एफ़्रीक़ी और लातिन एमेरिकी मूल भाषाओं के ज्ञाता इस पर और प्रकाश डाल सकते हैं, मैं उनके बारे में कुछ भी नहीं कह सकता, कुच्छ भी नहीं । इनके बारे में जो भी आधारभूत संक्षिप्त जानकारी चाहते हों, शुरुआत के लिए विकिपीडिया के इस लेख पर देख लें (अंग्रेज़ी में)।

वैसे ये सब लिखने का मतलब क्या है?


जब भाषाविद, ख़ुद इन सब (और इससे कहीं अधिक) को जानते हैं, तो ये लिखने का मतलब क्या है ? मेरा उद्देश्य सिर्फ़ एक observation प्रस्तुत करना था; कोई सिद्धांत नहीं । और ये पर्यवेक्षण किसी और सिद्धांत को जन्म दे सकता है - सही नज़र वाले को । मेरी नज़र ऐसी नहीं, किसी की तो होगी !

वैसे ये लिखने का एक उद्देश्य, इस विषय में रोचित ऐसे पाठकों तक पहुँचना भी था जो ये जान लें कि कभी भी उपरोक्त सूची से अलग की ध्वनियाँ वर्तित नहीं होतीं । जैसे 'ज' कभी 'ल' में नहीं बदलता । या 'श' की ध्वनि कभी 'प' में नहीं बदलती, इत्यादि । अगर आपको ऐसा नहीं लगता तो कृपया मुझे और बाक़ी पाठकों को भी बताएं ।



1 ये बात ग़ौर कीजिये कि जर्मन, रूसी सहित अन्य पूर्वी यूरोपीय भाषाओं में क की ध्वनि के लिए K का ही इस्तेमाल होता है । रूसी में C का इस्तेमाल सिर्फ़ S (स) की ध्वनि के लिए होता है । इसलिये जिसे हम सोवियत संघ कहते थे, उस सोवियत ज़माने के किसी झंडे में USSR के लिए CCCP लिखा हुआ मिलेगा - इसको रोमन में SSSR पढ़ेंगे ।

Tuesday 7 July 2015

A brief glimpse of Viet Nam - Hanoi and Halong bay

Street Food, Old Quarter, Street Performances in weekend, Ha Long bay etc. are the most notable parts of the trip.

वियतनाम का नाम सुनते ही १९७२ के युद्ध की याद आती है - हॉलीवुड और हमारे कम्युनिस्ट प्रभावित पाठ्यक्रम की वजह से ।लेकिन यहाँ हानोई का फूटपाथ वाला खाना और हालॉंग खाड़ी का वृत्त उल्लेखनीय है । इसके अलावे यहाँ की कॉफ़ी भी बहुत असरदार है । जून के महीने में तापमान और उससे भी कष्टदायक आर्द्रता, दिन के ९ बजे से ही तेज़ लगती है ।

हा नॉय के व्यावसायिक हिस्से में । पारंपरिक गली-संस्कार से विहीन ।

एक चीज़ जो वियतनाम आने से पहले मुझे पता नहीं थी वो ये कि यहाँ नाम एक पद के ही होते हैं । वियतनाम को 'विएत नाम' Viet Nam लिखते हैं, हनोई को 'हा नॉय' Ha Noi । इसमें उच्चारण की और भी पेँचीदिगियाँ है, जैसे उदात्त जैसे स्वर ।

हा नोइ (Ha Noi)


हनोई चीन की सीमा से १०० किमी और प्रशांत महासागर (या दक्षिणी चीन सागर) से भी इतनी ही दूर स्थित है । झीलों से पटा; छोटा, लेकिन भीड़ भरा । आग्नेय एशिया में आने वाले भारतीयों में कम ही यहाँ आते हैं । कारण - अंग्रेज़ी मीडिया (यानि अर्णब गोस्वामी) पर इसका गुणगान कम ही गाया जाता है, और यहाँ के लोगों को अंग्रेज़ी कम ही आती है । राजधानी हानोई के सबसे अधिक पर्यटको वाले इलाके में भी शुद्ध, समझ में आने वाली अंग्रेज़ी कम ही लोग बोलते हैं ।

हानोई के पारंपरिक हिस्से की गलियाँ
अपने कॉलेज के दिनों में Tower of Hanoi के प्रॉब्लम्स बहुत बनाया था । यहाँ आया तो ढूँढता रहा, लेकिन अपने छोटे से ट्रिप में व्यावसायिक इलाके में एक होटल जैसे दीखने वाले हानोई टावर्स के अतिरिक्त यहाँ कुछ नहीं मिला ।

हानोई टावर्स - इसमें प्रोग्रामिंग की कोई झलक नहीं दिखती ।
वैसे विकिपीडिया पढ़ने पर मुझे पता चला कि बनारस के काशी-विश्वनाथ मन्दिर में  ऐसी ६४ चकत्तियाँ रखीं हैं जिनको इसी क्रम में तीन खूँटों में बदला जाता है ।


उल्लेखनीय है यहाँ का खाना । आते ही मेरा सामना हुआ चावल से बने पन्ने से । पन्ने से नहीं, बल्कि कहिये पन्नी से - आप ही देख लीजिये । कहने को तो इसे राइस पेपर कहते हैं, पर इसे राइस मेम्ब्रेन कहना चाहिए था ।


राइस पेपर - चावल से बना पन्नी जैसा । सूप में डुबोने के ५ सेकेंड बाद मुलायम और खाने लायक बन जाता है ।

ओल्ड क्वार्टर

हानोई के सबसे टनी इलाक़ो में से एक है ओल्ड क्वार्टर । ये गलियाँ आपको पर्यटकों से भरीं लगेंगी; मुख्यतः यूरोप से आए । खाना काफ़ी चीनी जैसा है - मांस और नूडल से भरा । लेकिन बारबीक्यू और चावल के बने पृष्ठ (ऊपर की छवि में) बहुत अजीब लगते हैं ।
Old Quarter में शाकाहारी खाना!
संयोग से मुझे हानोई के ओल्ड क्वार्टर में ही शाकाहारी खाने का भी अवसर मिला - हाँलांकि मैने ऐसा ऑर्डर नहीं किया था । लेकिन प्लेट में सफ़ेद नूडल के साथ  Bean Curd (सोयबीन के दूध को जमाकर और फिर तला हुआ) और सलाद । खीरे के साथ जो पत्तियाँ रखी हैं वो तुलसी जैसी लगती हैं, लेकिन तुलसी से अलग हैं ।


गली का खाना


ग़लियों में मिलने वाले मचिया (small stools) पर बैठकर खाते हुए खाने का जो आलम मैने यहाँ देखा, कहीं और नहीं । भारत में इनको दोयम दर्जे का माना जाता है जो सफ़ाई और स्वास्थ्य कारणों से सही भी लगता है । लेकिन ३८ डिग्री सेल्सियस और ९० प्रतिशत नमी में खाते हुए ज़रा भी नहीं लगता कि आप कुछ ग़लत कर रहे हैं । सस्ता लेकिन उतना भी सस्ता नहीं । बारबीक्यू और तुलसी जैसी पत्तियाँ, खीरे ।
हानोई में गलियों में खाना खाते लोग - पारंपरिक स्वाद यहीं मिलता है

जो चीज़ यहाँ काफ़ी अलग लगी वो है यहाँ की कॉफ़ी - असरदार और कैफीन से भरी । यहाँ आग्नेय एशिया में ऐसी कॉफ़ी नहीं मिलती । सिंगापुर में भी मैने यहाँ की कॉफ़ी के किस्से सुने थे ।

बारबीक्यू (ताव पर पके गोश्त) यहाँ आम हैं ।
हा नोई की इन गलियों में रात को ७-१० बजे के बीच मेले जैसा मौसम रहता है । ख़ासकर सप्ताह के अंतिम दिनो में । खाने के लिए गलियों में लगे पीढ़े, गलियों में कहीं गाने, कहीं नाच, कहीं लोकवाद्य और कहीं गिटार पर कोई पश्चिमी गीत । नहीं, कोई भारतीय गाना बजते मैने नहीं सुना । लेकिन टीवी पर, ४० चैनलों में से एक चैनल पर, एक भारतीय सीरियल चल रहा था जिसके संवाद तो वियतनामी भाषा (तिएंग विएत) में dubbed (ध्वन्नय) थे, लेकिन बीच के गाने हिन्दी में यथावत बज रहे थे । वैसे बता दूँ कि यह धारावाहिक मोहतरमा एकता कपूर का बनाया हुआ था - साथ साथ बनाएँगे एक आशियां

रात में गली में प्रदर्शन करते कलाकार
इसी ट्रिप में मेरे साथ आए सौविक का ब्लॉग हानोई की शाम को कुछ यूँ बयान करता है ।(अंग्रेज़ी में, विस्तार से)


हा लोंग खाड़ी (Ha Long bay)

दूर तक फैली हुई खाड़ी और छोटे पहाड़ । और दूर, उस पार दक्षिणी चीन सागर और प्रशांत महासागर है ।

हालोंग खाड़ी हनोई के पूर्व, तट पर छोटी पहाड़ियों से भरा एक समुद्री निकाय है जो दक्षिणी चीन सागर के किनारे है । यहाँ की ख़ासियत है पहाड़ियों के भरे समुद्री खाड़ी की ।

हा लोंग खाड़ी- पहाड़ों के पार प्रशांत महासागर है ।
हम यहाँ दो दिन रुके । शांत जगह थी, लेकिन कई जहाजों पर कई और पर्यटक भी थे । जहाज से मेरा मतलब ४० लोगों के रहने और सोने लायक दो मंज़िले पोत से है । यहाँ का पानी दिखने में तो थाईलैंड जैसा नीला और पारदर्शी नहीं है, लेकिन तैरने के लिए ज़रा भी सोचना नहीं पड़ता । बाहर के वातावरण की आर्द्रता आपको अधिक देर बाहर घूमने की इजाज़त नहीं देती । अगर समुद्री ताज़ी हवा खानी हो तो रात का समय सबसे उपयुक्त है ।

विएतनाम के खेतों की झलक ।

बोलचाल के कुछ शब्द

इससे पहले कि इस देश की भाषा का कोई शब्द मैं सीखता, मैने ग़ौर किया कि यहाँ बोलचाल में प, ब और फ़ ध्वनियों की कमी है । ये मेरे ४ दिनों के टन में महसूस किया गया वीक्षण है, लेकिन ग़लत हो सकता है । भाषाविद् इस पर टिप्पणी या ग़ौर करें तो मैं भी जानूँ ।

Water - nước (नुओख़)
क्या - cái gì (चाइ जी)
कैसे - gò (जो)
कहाँ - ओ दॉउ (O Dau)
कौन - अऐ (Ai)
ठंडा - Lanh (lang)
गरम - Nong (nom)
वैसे भाषा की पेचीदगी बहुत है क्योंकि इसके बोलने वाले आपने कम देखे होंगे और यहाँ के वासियों को अग्रेज़ी कम ही समझ में आती है । लेकिन इशारों और हाथों की मुद्राओं का जवाब नहीं, काम आ ही जाती हैं ।

तस्वीरों के लिए यहाँ क्लिक करें । मैं यहाँ तीन दिन ही रहा - इच्छा थी एक हफ़्ता और गुज़ारूँ । लेकिन ये नौकरी - करनी ही पड़ती है । अगर आपको हानोई की गलियों के एकदम ख़ास व्यंजनों की सूची चाहिए तो यहाँ देखें । मेरे साथ गए सौविक का अंग्रेज़ी में लिखा वृत्तांत यहाँ पढ़िये जो इस ब्लॉग से अधिक विस्तृत है।

 गर्मियों में एक सर्द साँस और अगले टन तक विदा !

Friday 3 July 2015

Second glimpse of Indonesia - Bintan

A weekend trip to Bintan Island, just south of Singapore.

बिन्तन में चिन्तन


बिन्तान, सिंगापुर से कोई ५० किमी दक्षिण में है । अंग्रेज़ी न जानने वाला, खनिज से भरपूर और इंडोनेशिया के मुख्य द्वीपों से दूर एकदम अलग । कोई ५० किमी लंबा और इतना ही चौड़ा द्वीप । यहाँ सिंगापुर से बहुत लोग बीचों के लिए आते हैं । यह बताम के मुकाबिले अधिक खाली और इस कारण प्राकृतिक लगता है ।

बिन्तान का त्रिकोरा बीच
इंडोनेशिया और आग्नेय एशिया के इतने चक्कर लगाकर ये समझ में आया है कि संसाधनों पर इंसानों का दबाव भारत के मुकाबिले कम है । चाहे सड़क हो या ट्रेन स्टेशन या बीच, प्रति वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में उसी साधन के लिए कम लोग दावा कर रहे होते हैं । बीच पर बेहतर स्थान के लिए कम लोग, ट्रेन स्टेशन पर कोई १०० लोग, सड़क पर बसों में उपलब्ध जगहों से कुछ ही अधिक लोग । इसी कारण जीवन में मारा-मारी (चिल्ल-पों कह लीजिए) कम है ।


बिन्तान में सड़क - बाईँ तरफ़ चलती गाड़ियाँ और प्रायः खाली


लेकिन इलाका ग़रीब ही है, इस लिए यूरोप की तरह प्रगतिकृत नहीं लगता । जनसंख्या यहाँ भी बढ़ रही है, पता नहीं आगे कैसी रहेगी ये जगह, लेकिन अभी तो आने लायक लगी ।

त्रिकोरा बीच पर बहुत कम भीड़


बाक़ी, लोग बड़े भले । अंग्रेज़ी न जानने के बावजूद मददगार । पूर्वी तट पर त्रेकोरा बीच बड़ा शांत है । हम जब वहाँ गए तो मानसून आया था - इसलिए समुद्र थोड़ा रूद्र लग रहा था । लेकिन चीनी नव वर्ष होने के कारण बहुत कम लोग दिखे ।


चीनी नववर्ष चन्द्र पञ्चांग पर आधारित होता है और हर साल फ़रवरी के आसपास आता है । भारतीय पञ्चाङ्गों की तरह यहाँ भी हर तीसरे साल एक अतिरिक्त तेरहवाँ महीना आता है । यह चन्द्र गति पर आधारित सालों (३६३ दिन) को सूर्य आधारित वर्ष (३६५ दिन) से मेल कराने के लिए होता है । इस तरह के पञ्चांगों को चन्द्र-सौर पंचांग कहा जाता है । इस द्वीप पर रहने वाले लोगों में १० प्रतिशत चीनी मूल के हैं और मेरी कार के ड्राईवर के अनुसार वो व्यापारिक तंत्रों के शीर्ष को नियंत्रित करते हैं ।


भारतीय या यूरोपीय खाने वालों को दिक्कत । पदांग शैली के बुफ़े मिल जाते थे । लेकिन भाषा की समस्या बाली से अधिक गंभीर । अच्छी बात ये कि सबकुछ लैटिन लिपि में ही लिखा, लेकिन बुरी बात ये कि चंद शब्दों के अलावे कुछ समझ ना आए । और स्थानीय लोगों को, दुकानदारों को अंग्रेज़ी के नाम पर यस-नो के अलावे कुछ मालूम नहीं ।

बिन्तान में फूडकोर्ट - व्यञ्जनों के नाम बहासा और अंग्रेज़ी में लिखे हुए ।

बोल-चाल

बाकी इंडोनेशिया की तरह यहाँ भी बहासा का चलन है । कुछ शब्द जो यहाँ पता चले -

चिकन को अयाम (Ayam) कहते हैं । इसके अलावे पेट्रोल को Bensene (बेंसीन) कहते हैं तो डीज़ल को Solar (सोलार) । और तो और दूध को  Sussu (सुस्सु !) कहा जाता है । अगर भारत में इसको कोई ऐसा कहे तो लोग खा न पाएँ !

उपर लगाई तस्वीरों से आपको आकर्षक तो बहुत लगा होगा - ये है भी । लेकिन तीन दिन में एक स्थान को संक्षेप में ही समझा जा सकता है । सच्चाई, भीड़ और परेशानी से कभी रू-ब-रू हो तो ही कोई कह सके कि कैसा है । लेकिन तस्वीरों पर एक नज़र ज़रूर घुमा लें ।



Monday 1 June 2015

Another glimpse of Indonesia - Surabaya and Mount Bromo

Indonesia Java - इंडोनेशिया की तीसरी झलक - ब्रोमो ज्वालामुखी

ब्रोमो ज्वालामुखी का एक छोटा टन - एक दिन का । जावा के सुराबया से प्रोबोलिंगो और वहाँ से चेमेरो लवांग बाजार । चेमेरो लवांग से उपर एक viewpoint पर चढ़ने में कोई २ घंटों का समय लगता है ।


घर और घास - जावा द्वीप के सुराबया के पास

जावा इंडोनेशिया का सबसे populated द्वीप है । पश्चिमी भाग में राजधानी जकार्ता (१ करोड़) और पूर्वी भाग में सुराबया दो प्रमुख शहर हैं । इसके अलावे जोग्जकार्ता जैसे शहर भी इसी में स्थित हैं ।

सुराबया से कहीं जाने के लिए पुराबया बस टर्मिनल जाना होता है जो दमरी (मिनीबस) से कोई २० मिनट की दूरी पर स्थित है । अंतरनगर बसों को चुनने में भयंकर मशक्कत करनी पड़ती है क्योंकि अंग्रेज़ी का जो संस्करण यहाँ, बहुत कम लोगों द्वारा बोला या समझा जाता है वो मेरी समझ से परे है । प्रोबोलिंगो शहर के लिए बस कोई ३ घंटे का समय लेती है और बस चालू होने के लिए भरना जरूरी होता है जिसमें आधे घंटे का समय लगता है ।
 भरने से पहले बस 


सुराबया बस टर्मिनल (पुराबया, या बुंगुराशि के नाम से भी ज्ञात) से प्रोबोलिंग्गो पहुँचने में 3 घंटे का समय लगता है । प्रोबोलिंग्गो से  minibus में कोई 2  घंटे और लगते हैं Cemero Lawang तक पहुँचने में ।
बस में सामान रखने के लिये किया गया जुगाड़

सड़के भारत की तरह हीं, लेकिन थोड़ा कम traffic । आस पास के पेड़ भी जाने पहचाने से - आम, केले, बाँस, नीम, पपीता, अशोका इत्यादि तो भारत में भी दीखते हैं, कुछ और भी प्रकार दिखे । सभी boards अंग्रेज़ी जैसे अक्षरों में, लेकिन बहासा में लिखे । समझना तो मुश्किल है, लेकिन लोग मददगार हैं । हाँलांकि अंग्रेज़ी नहीं आने के कारण आपको कईयों से पूछना पड़ा सकता है । अपना सामान बेचने के लिए लोग एक-दो बार ही ख़ुशामद करते हैं । उन्हें साफ़-साफ़ मना करने पर अधिक नहीं टोकते ।


गोभी और प्याज एक खेत में - मई के महीने में


ब्रोमो ज्वालामुखी


प्रशांत महासागर के आसपास के अग्नि-कुंड, यानि ज्वालामुखी पर्वतों की गोल दिखने वाली हज़ारो किलोमीटर लम्बी रेखा पर स्थित ब्रोमो, तेंगर और सेमेरु पर्वत, पर्यटकों के बीच बहुत प्रसिद्ध है ।

सुबह के वक़्त ब्रोमो ज्वालामुखी


ब्रोमो ज्वालामुखी पर्वत यूँ तो २०११ में फटा था लेकिन थोड़ा धुँआ इससे अब भी उठता है । यहाँ तक पहुँचने और रुकने की जानकारी  जो wikitravel पर दी गई है, बहुत helpful है ।

लावा के राख का रंग - काला और भूरा
लावा की राख के रेत

लावा की राख के ढेर और मैदान - काले रंग के

लावा के मैदान में बसी आबादी ।


वापसी के वक़्त प्रोबोलिंग्गो से सुराबया ट्रेन से गया जो इंडोनेशिया में ट्रेन में चलने का मेरा पहला मौक़ा था । ६-७ डब्बों वाली ट्रेन और स्टेशन पर कोई ५० व्यक्ति ।  इसमें टिकट ट्रेन के आने से २ घंटे पहले ही मिल गई । भारत में ऐसी कल्पना थोड़ी मुश्किल लगती है । दो महीने पहले की बुकिंग भी आसानी से नहीं मिलती । ट्रेन वातानुकूलित है, और प्रोबोलिंगो से सुराबया जाने में २ घंटे का समय लेती है (105 km) । गाड़ियाँ समय से आती हैं और समय पर पहुँच जाती हैं ।
ट्रेन स्टेशन का दृश्य


दिन के १२ बजे के बाद से वापसी की मिनिबस भी मुश्किल से ही मिलती हैं । इसलिये जल्दी लौटना या शाम को वहीं रुक जाने में समय और पैसे दोनो बच सकते हैं ।

भाषा - Bahasa

एक ही शब्द यहाँ सीखा - से (ka in Bahasa) ।

प्रोबोलिंग्गो से सुराबया - Probolingo ka Surabaya ।

कुल टन (travel) में एक ही चीज़ खली, वो है यहाँ का खाना । मांस से यहाँ भी छुटकारा नहीं है और सोतॉय और नासी गोरेंग के अलावे ज्यादा विकल्प पसंद नहीं आते । चिप्स और बिस्कुट खाकर गुज़ारा हो सकता है ।

अधिक नहीं घूमने के कारण कोई और अनुभव नहीं ले पाया । और समय गुज़ारने लायक जगह लगी । फिर कभी... । और अधिक फ़ोटो यहाँ देखे जा सकते हैं ।

Friday 8 May 2015

A small joke using Inkskape - techies and PhDs may amuse

A small joke  - using free and open source vector graphics software Inkscape




Inkscape made small graphical joke. Intended for PhDs


शोध करने वाले छात्रो के लिए ओपन सोर्स चुटकुला - छवि रूप में। Inkscape में बना ।

Saturday 21 March 2015

First impression of Thailand - Phuket - फुकित - दक्षिण थाइलैंड की एक छोटी झलक


फुकित - दक्षिण थाइलैंड की एक छोटी झलक

अधिकांश यहाँ बीचों के लिए आते हैं । दक्षिण-पश्चिमी तट पर काटा बीच । (Kata Beach, Phuket)



दक्षिणी थाईलैंड में मुख्य भूमि के ३० किमी पश्चिम, अंदमान सागर के पूर्वी किनारे पर बसा फुकित (अंग्रेज़ी में Phuket) पर्यटन के लिए जाना जाता है । ज़ाहिर है यहाँ जो दिखता है वो बाक़ी थाइलैंड से अधिक अंतर्राष्ट्रीय है । अंतर्राष्ट्रीय से मेरा मतलब दुनिया भर के लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप । यानि ऐसी जगह जहाँ जगह-जगह अंग्रेज़ी के बोर्ड हों, सैंडविच हर दुकान में मिलती हो और अल्कोहल की कमी ना हो, इत्यादि .. । कुछ तो ऐसा ही है, लेकिन अंग्रेज़ी से अधिक सिरिलिक (रूसी, ताजिक सहित कई भाषाओं द्वारा प्रयुक्त) में लिखे हुए बोर्ड मिलेंगे । अंग्रेज़ी तो सिर्फ एयरपोर्ट पर दिखती है - लेकिन अक्सर टैक्सी वाले अंग्रेज़ी बोल लेते हैं ।

एक गली का नज़ारा, दोपहर के वक़्त । भारत के मुकाबिले थोड़ा ही अधिक शांत ।


दुकानों और गलियों में यहाँ काम चलाने लायक अंग्रेज़ी हर कोई बोल लेता है । आप इसकी तुलना मद्रास से तो नहीं कर सकते, लेकिन इंडोनेशिया के मुकाबिले अधिक साफ़ अंग्रेज़ी बोली जाती है । लेकिन जो भी जानकारी चाहिए लोगों से ही मिलेगी । साईनबोर्ड और अन्य जगहों पर थाई के अलावे अगर कुछ दिखा तो बहुत संभावना है कि ये सिरिलिक लिपि में हो, अंग्रेज़ी में नहीं ।

चावल का सूप - मज़ेदार


सड़कों पर लोग बाईं ओर चलते हैं, भारत और सिंगापुर की तरह । मसाज स्पा बहुत हैं । मैं जहाँ रुका था, यानि काटा बीच पर, वहाँ पारिवारिक महौल ज्यादा था । लोग अक्सर जोड़ों में आते थे । प्रवासी पंछियों की तरह । लोग भी मुख्यतः रूस, फ़िनलैंड जैसे देशो से थे । मार्च के महीने में यह अजीब बिल्कुल न था ।


थाई की गिनती -

  • ० -सुन (शून्य से मिलाएँ, याद रखने में आसानी होगी)
  • १ - निङ (निन)
  • २ - सों
  • ३ - शाम
  • ४ - सी
  • ५ - शा
  • ६ - होक
  • ७ - चात
  • ८ - पात
  • ९ - काओ
  • १० - सिप
बाकी की गिनती किसी दक्षिण-भारतीय भाषा जैसी ही है - यानि ग्यारह को दस-एक, बारह को दस-दो, तेरह को दस-तीन इस तरह । अधिक यहाँ देख लें

अंडमान से जुड़े शब्द कई बार दिखे । जो वाक्य मैं यहाँ सीखा वो इस यहाँ दिये गए हैं -
  • कैसे हैं - सबाई दिमई
  • बहुत गर्मी है - यिन माख
  • बहुत सर्दी है - लोन माख
  •  
थाई भाषा का एक संक्षिप्त गाईड यहाँ है । सीखते रहिए, घूमते रहिये । बीच कृष (आकर्षण) - 

मुख्य गली में Khan Baba के नाम से एक 'Indian Restaurant' है जो पाकिस्तानी लोगों ने खोल रखा है । उत्तर भारतीय (या पाकिस्तानी) खाने को जी चाह तो रहा था लेकिन उससे अधिक आकर्षण भारतीय अंदाज़ में बने चाय की थी (खौलाई हुई, दूध वाली) । अंदर गया तो खाना अच्छा लगा, थोड़ा महंगा ज़रूर था । लाहौर और गुजराँवाला (रणजीत सिंह का जन्म स्थान, अमृता प्रीतम और फ़िल्मकार कृषण चंदर भी यहीं के रहने वाले थे) के रहने वाले ये लोग, टीवी पे आ रहे पाकिस्तान के आयरलैंड के साथ चल रहे विश्वकप मैच का मज़ा ले रहे थे । मैने बातें की तो पूछे आप कहा से हो । जवाब दिया तो बोले "अरे वही जगह ना जहाँ लोग पान बहुत खाते हैं, फ़िल्मों में दिखाते हैं" । इस विशेषण को सुनकर अच्छा ही लगा । भारत में लोग बिहार को अन्य कई कारणों से जानते हैं । ख़ैर वो इस बात को लेकर भी अचंभित लगे कि मेरे पास ओरिजिनल पासपोर्ट और वीसा (Original Visa) था ।