Monday 21 September 2015

Prayaan - encouraging travel


I have realized that many central Indians don't travel so much. Here is an advice.

आखिर भारत के मध्यवर्ती इलाकों के लोग - मध्य वर्गीय, अंग्रेज़ी ना के बराबर बोलने वाले - विदेश क्यों नहीं जाते? विदेश यात्रा के बारे मे कुछ चीजें जो आपको पता होनी चाहिएं यहाँ लिख रहा हूँ।

इसका बहुत बड़ा कारण हैं - विदेशों  की जानकारी कम होने से पैसे अधिक ख़र्च होने की संभावना । अंग्रेज़ी को विदेश (विलायत) की भाषा समझना और स्थानीय भाषा के सिवा कुछ और समझने में झिझक ।

इतना अवश्य ध्यान में रखें कि कहीं भी हाथ की मुद्रा, भाव भंगिमा और कम शब्दों में बयान कर देने की क्षमता  ही आपको दुनिया में आगे ले जा पाएगी । एकदम अच्छी अंग्रेजी आपको एयरपोर्ट और अमेरिका-इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया के लिये ही आवश्यक है । अन्यथा नहीं !

बाहर की दुनिया देखिए - कहीं गाड़ियाँ तेज़ भागती हैं (पश्चिमी देश), कहीं लोग बहुत मददगार हैं (दक्षिणी यूरोप, इंडोनेशिया) तो कहीं का खाना अच्छा है । अगर आप थोड़ा पढ़ें को कम पैसों और परेशानी में दुनिया घूमी जा सकती है ।

वो देश जहाँ अच्छी अंग्रेज़ी बोलने भर से काम चल जाएगा

भाषागत सुझाव 


ये दिमाग़ से हटा दें कि अच्छी अंग्रेज़ी ही आपको विदेश में चंगा रख पाएगी । उपर के नक्शे में आप देख सकते हैं कि कितने कम देशों में आप बिना सहायता के, सिर्फ़ अच्छी अंग्रेज़ी बोलकर, अपने आप घूम सकते हैं । निस्संदेह इसके अलावे कई देश हैं जहाँ आपको, कम से कम पर्यटक स्थलों पर कोई दिक्कत नहीं होगी । जैसे - इटली, नेडरलैंद्स, अर्जेंटीना, कनाडा, मलेशिया इत्यादि । लेकिन अमेरिका जैसे देशों के कई क्षेत्रों और मार्केटों के लिए आपको एक अलग accent सीखने की आवश्यकता होगी । लेकिन, इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं कि आप बाहर ना निकलें । ज़रूर निकलें और लोगों को जानें, बात करें और ग़ौर करें । हाथ की मुद्रा, भाव भंगिमा और कम शब्दों में बयान कर देने की क्षमता का सहारा लें ।

भारत के आसपास के देशों में हिन्दी, बांग्ला या तमिळ पर्याप्त है, लेकिन हाथ की मुद्रा और भाव-भंगिमा के अलावे कम-से-कम शब्दों में दुकानदारों से बात करें । कन्फ़्यूज़न कम होती है ।

तीन किसम के विदेश हैं -

  • भारत के आसपास (अफ़ग़ानिस्तान से श्रीलंका तक), 
  • अंग्रेज़ी बोलने वाले देश (ब्रिटेन, अमरीका, ऑस्ट्रोलिया के अलावे सिंगापुर), और 
  • अंग्रेज़ी न जानने वाले (कई सुंदर और सभ्य देश)

इसके अलावे एक और चीज़  - अगर शाकाहारी खाना ढूंढने में दिक्कत हो रही हो तो भी प्रयास करें, मिल जाएगा ।

निकलिये, बाहर की दुनिया देखिये । व्यापार, ज्ञान और मन को बहलाने की असीम संभावनाएं हैं । दुनिया की संस्कृति को जानिये । कहीं अगर ५-७ दिनों  के लिये ही जा रहें हों तो अपने काम के अलावे स्थानीय संस्कार पर भी ध्यान दीजिये । अगर अधिक दिनों के लिए जा रहे हों तो स्थानीय लोगों से दोस्ती कीजिये ।

और अगर इतने पर भी बाहर जाने का हौसला न बन पाए, तो अपने देश में ही, अपनी भाषा और संस्कृति से अलग क्षेत्रों में घूमें । बच्चों की जानकारी, मनोरंजन और सेहत के लिए भी बहुत फ़ायदेमंद है घूमना ।


इन चीज़ों को जान लीजिये - इलेक्ट्रिक प्लग या सॉकेट किस प्रकार का है । विदेश जाने पर आपका पहचानपत्र सिर्फ आपका पासपोर्ट है । इसके अतिरिक्त कुछ ख़ास नहीं - पैन कार्ड जैसे भारतीय डॉक्यूमेन्ट किसी ख़ास काम के नहीं । ड्राइविंग लाइसेंस कुछ देशों में गाड़ी चलाने के लिए कुछ दिनों तक काम दे सकता है । ये भी जान लीजिये कि सड़के के किस ओर गाड़ी चलाते हैं - बाईँ या दाईं ।

घूमते रहिये - जानते रहिये ।

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