Friday 4 March 2016

Sprint to Himachal-Punjab border

A quick tour near Bhakra-Nangal Dam on the Punjab-Himachal Pradesh border.


पंजाब-हिमाचल सीमा पर भाखड़ा-नगल बाँध यूँ तो भारत का सबसे ऊँचा नदी बांध है लेकिन इसकी रचना के अंदर तक जाना हम जैसे नागरिकों की सुविधा-सूची में शामिल नहीं । लेकिन जो नसीब में है - वो है गोबिंदसागर झील । प्राकृतिक पहाड़ों के बीच बना, कोई ५०० वर्ग किलोमीटर में फैले इस झील के एक तरफ़ पंजाब है तो दूसरी तरफ़ हिमाचल ।

भाखड़ा-नंगल बांध हेतु बना गोबिंद सागर झील


झील के किनारे बनी अस्थाई दुकानों में तली हुई मछली और मक्के की रोटी न छोड़ने लायक है । नयना देवी का मंदिर और आनंदपुर साहिब का केसगढ़ गुरुद्वारा दोनो, अलग-अलग दिशओं में २० किलोमीटर की दूरी पर हैं । पर्यटकों को जान लेना चाहिए कि शाम के चार बजे के बाद नंगल बाँध-क्षेत्र से नयना देवी के मंदिर का रास्ता सुरक्षा कारणों से बन्द कर दिया जाता है । लेकिन गुरुद्वारे से होकर जाने वाला रास्ता तब भी खुला रहता है ।

आनंदपुर साहिब


यह गुरुद्वारा सन् १६७५ में बनाया गया था, दसवें गुरु गोबिंदसिंह जी द्वारा । यहाँ से मुग़ल शासन से लोहा लेने की शपथ खाई गई थी । यह गुरुद्वारा शहर के एक ऊँचे टीले पर बना हुआ है । साथ ही लगा है लंगर और सराय ।

आनंदपुर साहिब गुरुद्वारे का सराय (धर्मशाला)


गुरुद्वारे का सराय (सरां) रहने के लिए उपयुक्त जगह । सौ रुपये प्रतिरात का किराया, एक भारतीय स्तर के ठीक-ठाक साफ़-सुथरे कमरों वाला । इसके ठीक पास में लंगर है जहाँ मुफ़्त भोजन भी उपलब्ध है । सराय की रजाई तो जाड़े के लिए अचूक उपाय थी ।

नंगल बाँध


नंगल स्टेशन और शहर एकदम छोटा और वीरान सा । आनंदपुर साहिब से कोई 30 किलोमीटर दूर ।

नंगल स्टेशन - एकदम वीरान, उत्तर भारत के लिए एक आश्चर्य 

नंगल बाँध के अन्दर जाने की इजाज़त तो हम जैसे साधारण लोगों को नहीं है, लेकिन गोबिन्दसागर झील आप घूम सकते हैं । झील प्राकृतिक पहाड़ियों के बीच घिरा हुआ है । इसके किनारे कहीं-कहीं खाने की दुकानें हैं जहाँ मक्के की रोटी और तली हुई मछलियाँ बहुत अच्छी हैं ।

तली मछलियों की दुकान


नंगल बाँध और गोबिन्दसागर झील के किनारे रहने की कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन दिन में इसके चारो ओर घूमा जा सकता है । झील बहुत सौम्य और शांत वातावरण वाला । इसके ही दूसरी ओर है प्रसिद्ध नैना देवी मंदिर जो पहाड़ी पर है ।

नयना देवी मंदिर


झील के दूसरी ओर, हिमाचल प्रदेश की सीमा में पड़ने वाले नैना देवी मंदिर जाने के लिए कोई ५०० सीढ़ियाँ चढ़नी होती हैं । इन सीढ़ियों पर दुकानें हैं और करतबबीन भी ।

अगजर साँप वाली 

इस साँप को अपने बदन पर रखिये और Facebook या WhatsApp पर खटाक से शेअर कीजिये । इसके लिए आपको कोई २० रुपये देने होंगे ।

इन इलाक़ों में आने पर पंजाबी भाषा आपको हर तरफ़ सुनाई देगी । "ओ गया सी", "कित्थे जाणा आपनूँ जी" जैसे वाक्य सुमाई देंगे । उत्तर भारतीयों के  लिए बहुत मुश्किल तो नहीं । बस जी, और 'न' की जगह 'ण' का प्रयोग करते रहिये । जैसे, जाना है को "जाण्णा है जी" कहिये । 

इन तीनों जगहों पर जाने के लिए गरमियों में एक दिन और जाड़े में दो दिन लगते हैं ।